नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में सियासी ड्रामा जारी है। कांग्रेस का आरोप है कि राज्य में भाजपा ने कांग्रेस की सरकार गिराने के लिए ऑपरेशन लोटस चलाया है। लेकिन अब सबसे अहम सवाल है कि इस बार मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए कौन विभीषण बनेगा। हालांकि मध्य प्रदेश में कोई भी विधायक खुलकर सरकार के खिलाफ नहीं नहीं आया है। पिछले साल कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीए सरकार को गिराने कांग्रेस और जेडीएस के ही विधायक विभीषण बने थे और उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा देकर कांग्रेस और जेडीएस की सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था।

फिलहाल कांग्रेस की मुश्किलें मध्य प्रदेश को लेकर बढ़ गई है। क्योंकि पिछले एक साल के दौरान कई विधायकों में नाराजगी देखने को मिली। लेकिन कमलनाथ ने जैसे तैसे उनकी नाराजगी को कम कर दिया था। हालांकि पिछले साल भी कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि भाजपा राज्य सरकार को अस्थिर कर रही है। हालांकि कमलनाथ ने राज्य में भाजपा की सभी कोशिशों को विफल कर दिया। हालांकि इस तरह का आरोप कांग्रेस ने महाराष्ट्र में लगाया।  

कांग्रेस का दावा है कि कर्नाटक में कुमारस्‍वामी सरकार गिराने के सफल प्रयोग के बाद अब भाजपा अब मध्‍य प्रदेश में 'ऑपरेशन कमल चला रही है। लिहाजा वह उसके विधायकों को  खरीदने की कोशिश कर रही है। लिहाजा कांग्रेस के सभी प्रबंधक राज्य में सरकार बचाने की कोशिशों में लग गए है। लिहाजा इसी सिलसिले में कांग्रेस की दिल्ली में बैठक होने जा रही है। जिसमें राज्य के सभी नेता हिस्सा लेंगे। हालांकि इस बैठक में सोनिया गांधी भी हिस्सा लेंगी इसका खुलासा नहीं हुआ है।

लेकिन कांग्रेस के नेता भी मानते हैं कि कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। क्योंकि कमलनाथ सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे चार विधायक और कांग्रेस के चार विधायक गुरुग्राम के एक होटल में देखे गए। वहीं कांग्रेस का दावा है कि इन विधायकों को भाजपा के नेता अपने साथ ले। जिसके बाद गुरुग्राम के होटल में कमलनाथ सरकार के चार मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता होटल में पहुंचे।