लखनऊ। बलात्कार के आरोप में जेल में बंद उन्नाव के बांगरमऊ से भाजपा विधायक कुलदीप सिंह पर पार्टी ने अभी तक कार्यवाही नहीं है। आखिर ऐसे क्या कारण हैं कि पार्टी ने अभी तक उन्हें पार्टी से नहीं निकाला। फिलहाल बलात्कार पीडिता के एक्सीडेंट होने और इसमें दो लोगों की मौत हो जाने के बाद पार्टी पर कुलदीप सिंह को पार्टी से बाहर करने का दबाव बन गया है।

उन्नाव बलात्कार पीड़िता का शनिवार को रायबरेली जिले में एक जबरदस्त कार एक्सीडेंट हुआ है। हालांकि पीड़िता के घर वालों ने इसके लिए विधायक कुलदीप सिंह पर आरोप लगाए हैं। पीड़िता अपनी चाची, मौसी और वकील के साथ रायबरेली जेल में बंद अपने चाचा से मिलने जा रही थी।

लेकिन तभी रास्ते में उसे एक ट्रक ने टक्कर मार दी। जिसमें पीड़िता की हालत गंभीर है और वह लखनऊ के ट्रामा सेंटर में भर्ती है। अब इस मामले ने राजनैतिक रंग ले लिया है। क्योंकि पीड़िता को पुलिस की सुरक्षा मिली थी और उस दिन उसके साथ सुरक्षा कर्मी नहीं था। जिसके बाद संदेह किया जा रहा कि ये साजिश हो सकती है। 

फिलहाल विपक्ष ने सरकार पर चौतरफा दबाव बना दिया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भाजपा से सवाल पूछ लिया कि जब विधायक जेल में आरोप में बंद हैं तो पार्टी ने उन्हें क्यों नहीं निकाला। वहीं अब इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की जा रही है।

असल में कुलदीप सिंह सेंगर उन्नाव के दबंग विधायक माने जाते हैं और वह लगातार चौथी बार विधायक हैं। हालांकि भाजपा में आने से पहले सपा और बसपा में रह चुके। राज्य में जिस भी पार्टी की सरकार आए, कुलदीप सत्ता के साथ ही नजर आते हैं।

यूपी की सियासत में उनके बिरादरी के दबंग विधायकों व मंत्रियों से अच्छे रिश्ते बताए जाते हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उन्होंने बलात्कार के आरोप में सरेंडर किया तो उनके साथ कई विधायक मौजूद थे।

यही नहीं उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज खुद जेल जाकर कुलदीप सेंगर से मिल चुके हैं। कुलदीप सिंह की स्थानीय पुलिस और प्रशासन पर पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उन पर बलात्कार के आरोप लगे तब उन्हें बचाने के लिए पुलिस के अफसरों की भी बड़ी भूमिका रही। हालांकि बाद में दबाव के कारण इन अफसरों को जिले हटा दिया गया।