नई दिल्ली। देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस और राजद के दोस्ती के बाइस साल पूरे हो गए। लेकिन एक दोनों के बीच सीटों को लेकर गणित बिगड़ता जा रहा है और कांग्रेस ने धमकी दी है कि  अगर उसे सम्मानजनक सीटें नहीं मिली तो वह गठबंधन से किनारा कर लेगी। बिहार में राजद की अगुवाई में महागठबंधन बना था, लेकिन अब ये कमजोर पड़ता दिख रहा है। हम और रालोसपा के जाने के बाद कोई भी दल इसमें बचा नहीं है। रालोसपा ने नया गठबंधन बना लिया है और महागठबंधन का  हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं।

राज्य में कांग्रेस-राजद की दोस्ती की शुरूआत 1998 के लोस चुनाव से शुरू हुई और 1999 के लोकसभा चुनाव में भी बरकरार रही। उस  वक्त झारखंड बिहार से अलग नहीं हुआ था। इसके बाद साल 2000 के विस चुनाव में दोस्ती टूट गई। वहीं चुनाव बाद फिर गठबंधन हुआ और लालू यादव सीएम बने। इसके बाद लालू की अगुवाई में कांग्रेस और राजद ने मिलकर चुनाव लड़ा इसमें 40 सीटों में राजद ने 22 और कांग्रेस ने तीन सीट जीतीं। वहीं राज्य से झारखंड अलग होने के बाद 2005 में दोनों ने मिलकर  चुनाव लड़ा और इसमें राजद ने 54 जीतीं जबकि कांग्रेस ने नौ जीत दर्ज की। जबकि फिर एक बार 2009 के लोस चुनाव में दोस्ती टूटी। लोकसभा में राजद 22 से चार सीट पर आ गई जबकि कांग्रेस ने तीन सीटें जीतीं। इसके बाद साल 2010 में कांग्रेस चार और राजद भी 22 पर सिमट गई।

वहीं 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद के साथ ही कांग्रेस और जदयू का गठबंधन हुआ इसमें कांग्रेस ने 27 जीतीं। जबकि राजद ने 80 पर जीत हासिल की। वहीं इस महागठबंधन के खिलाफ एनडीए में भाजपा के साथ लोजपा, रालोसपा, हम शामिल रही। इसमें महा गठबंधन को 178 और एनडीए को 58 सीटों पर जीत मिली। वहीं राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और राजद के बीच अभी  तक सीटों का बंटवारा नहीं हो सका है। कांग्रेस ने धमकी दी है कि अगर सम्मानजनक सीटें नहीं मिली तो वह महागठबंधन से किनारा कर लेगी। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में दोनों ने मिलकर चुनाव लड़ा था।  जिसमें कांग्रेस ने एक सीट जीती थी।