नई दिल्ली। भोपाल में कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया का महाराज की तरह स्वागत किया। भोपाल से लेकर राज्य के सभी जिलों में सिंधिया के स्वागत के लिए पोस्टर लगे हुए थे और भाजपा कार्यालय में भी सिंधिया का जोरदार स्वागत किया गया। पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ता पीएम मोदी, अमित शाह के साथ ही शिवराज सिंह और महाराज(सिंधिया) के नाम के नारे लगा रहे थे। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि क्या राज्य के सीएम कमलनाथ राज्य में बनी नई जोड़ी महाराज और शिवराज का मुकाबला कर पाएंगे। क्योंकि सिंधिया समर्थक विधायकों के इस्तीफे के बाद राज्य में  कमलनाथ सरकार पर संकट गहराया हुआ है।

पार्टी में सिंधिया के करीबी माने जाने वाले 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है और इसके कारण राज्य में कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है। हालांकि कमलनाथ का दावा है कि उनकी सरकार को कई खतरा नहीं है और कांग्रेस विधायकों को भाजपा ने बंधक बनाया हुआ है। कमलनाथ का ये भी दावा है कि वह सदन में बहुमत साबित कर देंगे। विधानसभा अध्यक्ष ने सिंधिया समर्थक विधायकों का इस्तीफा मंजूर नहीं किया है और उन्होंने विधायकों को नोटिस जारी कर उन्हें उपस्थित रहने को कहा है। 

राज्य की 228 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या इस्तीफा देने से पहले थे और कमलनाथ सरकार निर्दलीय, बसपा और सपा विधायकों की मदद से चल रही है।  हालांकि बसपा और सपा विधायकों ने खुलेतौर से सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान किया है।  वहीं अगर विधायकों के इस्तीफे मंजूर किए जाते हैं तो कांग्रेस के पास सिर्फ 92 विधायक ही रहेंगे और ऐसे में सरकार अल्पमत में आ जाएगी वहीं विधानसभा में भाजपा के 107 विधायक हैं। जिसके बाद भाजपा की सरकार बननी तय है। वहीं माना जा रहा है कि राज्य में अगर भाजपा की सरकार बनती है तो शिवराज सिंह ही राज्य के सीएम होंगे।  

कर्नाटक जैसे हालत हो सकते हैं राज्य

मध्य प्रदेश में कर्नाटक जैसा सियासी संकट पैदा हो सकता है। क्योंकि अगर विधानसभा अध्यक्ष विधायकों के इस्तीफे मंजूर नहीं करते हैं तो सिंधिया समर्थक विधायक सुप्रीम कोर्ट की तरफ रूख कर  सकते हैं। वहीं कमलनाथ सरकार का हाल कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार की तरह हो सकता है।