नई दिल्ली। भारत और कनाडा के बीच संबधों में खटास बढ़ती जा रही है। खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के हाथ होने का आरोप लगाते हुए कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने बवाल खड़ा कर दिया। भारत सरकार ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया। तीन दिन में तीन बड़े झटके देकर कनाडाई पीएम को भी कड़ा संदेश दे दिया है। इस मुद्दे पर वह ब्रिटेन, अमेरिका जैसे देशों का साथ चाहता था। पर उन देशों ने अपने हाथ खींच लिए हैं। ऐसा पहली बार नहीं है कि जब कनाडा ने भारत को दगा दिया है। इसके पहले भी वह कश्मीर मुद्दे से लेकर पोखरण विस्फोट तक भारत का अर्दब में लेने की कोशिश करता रहा है।

कनाडा बार बार भारत को उकसाने की कोशिश करता रहा है। पर कनाडा के साथ भारत हमेशा दोस्ती निभाता रहा है। कनाडा साल 1867 और भारत 1947 में आजाद हुआ। दोनों राष्ट्रमंडल के सदस्य देश ठहरें तो भारत की आजादी के समय 1947 से ही दोनों देशों के बीच एक लगाव रहा। उसी दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव भी उभरा। ऐसे कई मौके आएं, जब कनाडा ने भारत को दगा दिया। आइए जानते हैं उनके बारे में पाइंट्स में।

1- 1948 में कश्मीर में जनमत संग्रह का समर्थन

कनाडा ने पहली बार साल 1948 में कश्मीर में जनमत संग्रह को अपना समर्थन देकर भारत से रिश्ता खराब कर लिया। पर 1951 तक कनाडा और भारत के रिश्ते फिर सामान्य हुए। 1966 में कनाडा के पूर्व पीएम ज्यां चेरेतिन के भारत आने के साथ दोनों देशों के बीच संबंधों में गर्माहट आई।

2- 1974 में पोखरण-1 के समय जस्टिन ट्रूडो के पिता ने दिखाए तेवर

जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो 1968 से 1979 तक कनाडा के पीएम रहे। उसी दौरान मई 1974 में भारत ने पहला परमाणु परीक्षण (पोखरण I) किया। तब भी तत्कालीन कनाडाई पीएम ने आपत्ति जताई थी और यह भी कहा था कि कनाडा सभी तरह की परमाणु और आर्थिक सहायता बंद कर रहा है। तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने सीनियर ट्रूडो को मुंहतोड़ जवाब दिया था।

3- 1982 में सीनियर ट्रूडो ने हत्यारोपी के प्रत्यर्पण से किया था इंकार

साल 1980 के दशक में उभरे उग्रवाद में पंजाब में दो पुलिस अधिकारियों की हत्या हो गई थी। साल 1982 में कनाडाई पीएम ​जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो कनाडा के पीएम थे। उन्होंने पुलिस अधिकारियों की हत्या के आरोपी तलविंदर सिंह परमार के प्रत्यर्पण से इंकार कर दिया था। यह वही तलविंदर सिंह परमार था, जो 1985 में एयर इंडिया के एक विमान पर खालिस्तान हमले का मास्टरमाइंड था। जिसमें 329 लोगों की मौत हुई थी।

4- 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षणों के बाद बिगाड़े भारत से रिश्ते

कनाडा ने भारत के खिलाफ विदेशी मंचों पर आवाज उठाने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षणों के बाद एक बार फिर भारत के साथ रिश्ते बिगाड़ लिए थे। 

5- 2014 से खालिस्तान उग्रवाद के मुद्दे पर जस्टिन ट्रूडो का भारत से मतभेद

मोदी सरकार के साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूूडो का खालिस्तान उग्रवाद के मुद्दे पर भारत से मतभेद है। हालां​कि जस्टिन ट्रूडो ने एक साल बाद कनाडा की सत्ता की कमान संभाली थी। 

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