सुभाषचंद्र बोस
(Search results - 5)NewsJan 27, 2019, 12:47 PM IST
पीएम मोदी ने साल 2019 में पहली बार की ‘मन की बात’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नए साल में पहली बार रेडियो पर ‘मन की बात’ के 52वें एपिसोड को संबोधित किया। शुरुआत में स्वामी शिवकुमार जी को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, मतदान के महत्व, परीक्षार्थियों को टिप्स देने जैसे कई विषयों पर बात की।
NewsJan 23, 2019, 4:23 PM IST
भारत को आजादी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की वजह से मिली, तत्कालीन ब्रिटिश पीएम ने किया था स्वीकार
क्लिमैन्ट रिचर्ड एटली जो कि 1945 से 1951 तक ब्रिट्रेन के प्रधानमंत्री रहे। उनके समय में ही भारत को आजादी मिली। उनसे एक बार ब्रिटेन के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि आखिर आपने भारत क्यों छोड़ा? आप दूसरा विश्वयुद्ध जीत चुके थे। सबसे बुरा समय बीत चुका था। 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन फ्लॉप हो चुका था। आखिर ऐसी क्या जल्दी थी कि ब्रिटिश सरकार ने 1947 में अचानक यह कहना शुरु कर दिया कि नहीं हमें तुरंत भारत छोड़ना है?
ViewsJan 23, 2019, 4:17 PM IST
भारत को आजादी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की वजह से मिली, तत्कालीन ब्रिटिश पीएम ने किया था स्वीकार
क्लिमैन्ट रिचर्ड एटली जो कि 1945 से 1951 तक ब्रिट्रेन के प्रधानमंत्री रहे। उनके समय में ही भारत को आजादी मिली। उनसे एक बार ब्रिटेन के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि आखिर आपने भारत क्यों छोड़ा? आप दूसरा विश्वयुद्ध जीत चुके थे। सबसे बुरा समय बीत चुका था। 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन फ्लॉप हो चुका था। आखिर ऐसी क्या जल्दी थी कि ब्रिटिश सरकार ने 1947 में अचानक यह कहना शुरु कर दिया कि नहीं हमें तुरंत भारत छोड़ना है?
ViewsOct 21, 2018, 5:22 PM IST
आजादी के बाद नेताजी के हाथ में होता नेतृत्व तो कैसा होता हमारा देश?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले से कहा, कि आजादी के बाद अगर नेताजी सुभाषचंद्र बोस या पटेल को देश का नेतृत्व सौंपा जाता, तो देश की परिस्थितियां ही कुछ और होतीं।क्या होतीं यह परिस्थितियां, आइए एक नजर डालते हैं----
NewsSep 17, 2018, 8:55 PM IST
भ्रांतियां मिटाने पर केन्द्रित रहा संघ प्रमुख मोहन भागवत का भाषण
पिछले कई दशकों से संघ विरोधियों ने दुष्प्रचार करके जनमानस में संघ को लेकर कई तरह की भ्रांतिपूर्ण धारणाएं बना दी हैं। इन गलत धारणाओं को लेकर अक्सर विरोधी संघ पर हमला बोलते हैं और संघ समर्थकों की उर्जा, जो कि रचनात्मक कार्यों में लगनी चाहिए, वह बेवजह के आरोपों का जवाब देते हुए नष्ट हो जाती है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सिलसिलेवार ढंग से इन भ्रांतियों का निराकरण किया।