Heatwave: इस समय गर्मी अपने चरम पर है। सूरज की तपिश शरीर को झुलसा दे रही है। डिहाईड्रेशन की समस्या बढ़ती जा रही है। नेशनल क्लाईमेंट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ प्रोग्राम (NPCCHH) के तहत भीषण गर्मी की लहर से इंसानों के शरीर को 27 प्रकार लॉस हो सकता है।
Heatwave: इस समय गर्मी अपने चरम पर है। सूरज की तपिश शरीर को झुलसा दे रही है। डिहाईड्रेशन की समस्या बढ़ती जा रही है। नेशनल क्लाईमेंट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ प्रोग्राम (NPCCHH) के तहत भीषण गर्मी की लहर से इंसानों के शरीर को 27 प्रकार लॉस हो सकता है। Union Health Ministry के मुताबिक अभी तक गर्मी की वजह से चक्कर आना, बेहोशी या फिर आंखों में जलन महसूस करने जैसी परेशानियों के बारे में जानते हैं। किस टेंप्रेचर में बॉडी का कौन सा अंग सबसे पहले प्रभावित हो सकता है, इसके बारे में तथ्यों पर आधारित सूचना में चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है।
Heatwave: टेंप्रेचर बढ़ने पर नसो में जमने लगता है ब्लड
रिपोर्ट के मुताबिक 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा के टेंप्रेचर पर बीमार व्यक्ति की नसों में खून के थक्के जमना शुरू हो जाते हैं। छोटी नसों में खून के छोटे-छोटे थक्के बनने की यह प्रक्रिया सबसे पहले दिमाग और फिर आंतों के अलावा किडनी, लिवर और फेफड़ों को प्रभावित करने लगती है। अत्यधिक गर्मी का एक और सबसे गंभीर परिणाम रैब्डोमायोलिसिस है, जिसमें मासक्यूलर टिश्यू टूटकर खून में हानिकारक प्रोटीन के रूप में मिलने लगते हैं।
Heatwave: सबसे पहले ब्रेन पर पड़ता है गर्मी का असर
भीषण गर्मी का सबसे पहले असर इंसानों के ब्रेन पर पड़ता है। इसलिए 27 तरीकों में पहला स्थान ब्रेन को दिया है, जो सीधे तौर पर गर्मी की चपेट में आने पर स्ट्रोक या फिर हीट स्ट्रेस देता है। इसके बाद दूसरे स्थान पर हार्ट, फिर आंत, किडनी, लिवर और पैंक्रियाज का नंबर आता है। जब शरीर का तापमान सेल की थर्मल टॉलरेंस से ज्यादा होने लगता है तो ऐसी स्थिति को हीट साइटोटॉक्सिसिटी माना जाता है, जिसकी वजह से पैंक्रियाज को छोड़ बाकी सभी 6 अंगों में क्षति होने लगती है। ऐसी स्थिति में मरीज की मृत्यु की आशंका बढ़ जाती है। इसी तरह जब टेंप्रेचर बढ़ने के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ता है तो पैंक्रियाज पर इसका असर होता है, जो शुगर लेबल बढ़ा देता है।
Heatwave: ब्लड शुगर- BP के पेशेंटों में बढ़ जाता है खतरा
एनवायरनमेंट हेल्थ पर्सपेक्टिव जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में स्पेन के शोधकर्ताओं ने स्वीकार किया है कि जब सबसे ज्यादा टेंप्रेचर रहता है तो शुगर और ब्लडप्रेशर के पेशेंटों पर खतरा बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बाहरी टेंप्रेचर जब शरीर के टेंप्रेचर की तुलना में अधिक होता है तो पसीना आने लगता है। यह सीधे तौर पर ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट को बढ़ाता है। पुरुषों में चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है, जबकि महिलाओं में संक्रामक, हार्मोनल व मेटाबाल्जिम, यूरिनल और श्वसन रोगों का। अत्यधिक गर्मी में किडनी फेल्यौर, पथरी और यूरिनल ट्रैक इंफेक्शन और सूजन होने का भी खतरा रहता है।
Heatwave: शरीर पर दिखें ये लक्षण तो हो जाएं एलर्ट
गर्मी में जब कभी खुद के अंदर या फिर सामने वाले व्यक्ति के स्वभाव में बदलाव दिखे तो सतर्क हो जाईए। चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते, दिल की धड़कन बढ़ना, उल्टी, मांसपेशियों में ऐठन जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें। रिपोर्ट में 10 साल से लेकर आगे की उम्र तक के इंसानों को इन खतरों को लेकर एलर्ट किया गया है।
ये भी पढ़ें...
OMG: यूपी के इस राजा की 3 पीढ़ियां हो चुकी है प्लेन क्रैश का शिकार
Last Updated May 25, 2024, 12:49 PM IST