पन्ना में बाघिन को बेहोश करके पहनाया रेडियो कॉलर

पन्ना टाइगर रिजर्व के बहुत से बाघ अपना प्राकृतिक निवास छोड़कर इंसानी आबादी की और भाग रहे हैं जिससे उनके जीवन में खतरा पैदा हो गया है टाईगर की सुरक्षा खतरे में न हो इसके लिए पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने चंद्रनगर रेंज में बीते 2 बर्ष से अकेले आवासीय क्षेत्र की ओर घूम रही एक बाघिन को पकड़कर रेडियो कॉलर पहनाया है।

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पन्ना/मध्य प्रदेश: पन्ना टाइगर रिजर्व के बहुत से बाघ अपना प्राकृतिक निवास छोड़कर इंसानी आबादी की और भाग रहे हैं जिससे उनके जीवन में खतरा पैदा हो गया है टाईगर की सुरक्षा खतरे में न हो इसके लिए पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने चंद्रनगर रेंज में बीते 2 बर्ष से अकेले आवासीय क्षेत्र की ओर घूम रही एक बाघिन को पकड़कर रेडियो कॉलर पहनाया है।

विशेषज्ञों की टीम ने पहले इस बाघिन को बेहोश किया फिर गले में रेडियो कॉलर पहनाया। अब उसकी 24 घंटे निगरानी की जाएगी इसके लिए विशेष दल भी लगा दिया गया है। 

पन्ना टाइगर रिजर्व में 9 बर्ष पूर्व बाघ पुरी तरीके से खत्म हो गए थे। वीरान हो चुके बुंदेलखंड के इस जंगल में टाइगर पुनः बसाने के लिए दुनिया का पहला सफल प्रयोग भी किया गया जिसमें बाहर से लाकर 5 टाइगर को छोड़ा गया जिसकी संख्या बढ़कर अब 40 हो गई है। 

 यह बाघ अब अपना प्राकृतिक निवास छोड़कर बाहरी इलाकों में घूम रहे हैं जिससे उनकी जीवन को खतरा पैदा हो गया था।

 टाइगर को रेडियो कलर पहना देने जाने से अब जो शिकारियों का क्षेत्र में खतरा है उसे 24 घंटे निगरानी होगी और बाघ की मूवमेंट को भी लगातार देखा जा सकेगा रेडियो कॉलर एक ऐसा यंत्र है जो बाघ की गले में पहना दिया जाता है और 24 घंटे जीपीएस और पल्स से उसकी निगरानी की जाती है पूरी जानकारी कंट्रोल रूम में उपलब्ध कराता है। 

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