लोकसभा चुनाव की सरगर्मी तेज है। सत्ता और प्रतिपक्ष ने सात चरणों के चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है। उत्तर भारत में पिछली बार यानी 2014 में बीजेपी ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था। विपक्ष को लगता है कि 2014 में बीजेपी ने उत्तर में सर्वाधिक सीटें जीती थीं, इसलिए अगली बार उसे कुछ न कुछ तो नुकसान जरुर होगा। कुछ ऐसी ही आशंका बीजेपी के रणनीतिकारों को भी है। इसलिए उन्होंने उत्तर भारत में होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई दक्षिण भारत से करने की तैयारी की है। जानिए कैसे?
नई दिल्ली: दक्षिण भारत के पांच राज्यों में कर्नाटक को छोड़कर बीजेपी की उपस्थिति बहुत कम है। ये समस्या सिर्फ बीजेपी की ही नहीं बल्कि कांग्रेस की भी है।
दरअसल दक्षिण के राज्यों ने दिल्ली के अधिपत्य से अलग सत्ता के अपने केन्द्र विकसित किए हैं। जिसकी वजह से केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में राष्ट्रीय दलों का अस्तित्व ना के बराबर है। यहां बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस को भी क्षेत्रीय दलों के ही सहयोग पर निर्भर रहना पड़ता है।
आजादी के बाद से अब तक यही होता आया है। लेकिन इस बार यानी लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने दक्षिण भारत के राज्यों पर विशेष ध्यान देना शुरु किया है। सबसे पहले बात करते हैं तमिलनाडु की।
तमिलनाडु में ‘अम्मा मैजिक’ के सहारे बीजेपी
दक्षिण भारत के प्रमुख राज्य तमिलनाडु में बीजेपी ने ज्यादा बड़ा दांव नहीं लगाया है। अमित शाह ने तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके(अन्नाद्रमुक) और उसके सहयोगी दलों के साथ गठबंधन किया है। तमिलनाडु में बीजेपी के गठबंधन में अन्नाद्रमुक के अलावा एमडीएमके, पीएमके और दो अन्य पार्टियां भी हैं। बीजेपी तमिलनाडु में पांच सीटों उत्तर चेन्नई, नीलगिरी, नागेरकोइल, वेल्लोर, कोयंबटूर पर चुनाव लड़ रही है। उम्मीद की जा रही है कि सहयोगी दलों के कारण उसे इन सभी पांच सीटों पर जीत हासिल होगी। पिछली बार बीजेपी ने तमिलनाडु से सिर्फ एक कन्याकुमारी सीट जीती थी।
इस नजरिए से देखा जाए तो तमिलनाडु में बीजेपी को चार सीटों का फायदा हो सकता है।
अगर बीजेपी तमिलनाडु से अपेक्षित सीटें जीतने में कामयाब रहती है तो उसके पैर यहां की राजनीति में जम जाएंगे। तमिलनाडु और पुद्दुचेरी में लोकसभा की 40 सीटें हैं।
केरल में सबरीमाला और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से बीजेपी को हो सकता है लाभ
केरल एक ऐसा राज्य है जहां संघ परिवार काफी सालों से जड़ जमाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अब तक उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है। यहां संघ के कार्यकर्ता तो हर जिले में हैं, लेकिन बीजेपी का राजनीतिक प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है।
लेकिन इस बार सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर केरल में जो बवाल हुआ, उससे बीजेपी को फायदा मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने यहां अक्टूबर 2017 में 140 किलोमीटर लंबी जन रक्षा यात्री की, यहां से के.जे. अलफांसो को केन्द्रीय मंत्री बनाया गया। हाल ही में पीएम मोदी ने केरल में जो जनसभाएं की वह काफी सफल रहीं। इसके अलावा केरल में बीजेपी के कई कार्यकर्ताओं की हत्या भी हुई है, जिसका मुद्दा बीजेपी नेताओं ने देशभर में हुई जनसभाओं में उठाया है।
इन सब बातों को देखकर लगता है कि केरल की 20 लोकसभा सीटों में से बीजेपी कुछ सीटें निकाल सकती हैं। बीजेपी यहां से जो भी सीटें जीते वह उसका फायदा ही होगा। उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी केरल से पांच या सात सीटें जीत सकती है।
आंध्र प्रदेश में बीजेपी को ज्यादा सीटें मिलने की है आशा
पड़ोसी राज्य कर्नाटक में तो बीजेपी का मजबूत प्रभाव है लेकिन साथ के आंध्र प्रदेश में उसे कभी भी ज्यादा सीटें नहीं मिल पाईं।
इसीलिए इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने आंध्र प्रदेश पर विशेष ध्यान देने का फैसला किया है। बीजेपी आंध्र में केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार करने के साथ साथ राज्य में सत्तारुढ़ टीडीपी पर भी निशाना साध रही है और उसे धोखेबाज पार्टी करार दे रही है। दरअसल टीडीपी पहले बीजेपी के साथ एनडीए में शामिल थी। लेकिन बाद में टीडीपी मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने बीजेपी का दामन छोड़ दिया। बीजेपी यहां पर टीडीपी के खिलाफ जारी सत्ताविरोधी रुझान को भुनाने की कोशिश में है।
वह टीडीपी सरकार में भ्रष्टाचार और सरकारी पैसे के दुरुपयोग को भी मुद्दा बना रही है। बीजेपी ने आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन किया है और अब बीजेपी और वाईएसआर कांग्रेस के नेता खुद को राज्य में टीडीपी के विकल्प के तौर पर पेश कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटें हैं, जिसमें से बीजेपी को पिछली बार मात्र दो सीटें मिली थीं।
इस बार वाईएसआर कांग्रेस के साथ मिलकर बीजेपी को सात से आठ सीटें जीतने की उम्मीद है। जो कि पार्टी के लिए घाटे का सौदा नहीं है।
कर्नाटक में बीजेपी को मिल सकती है बड़ी सफलता
कर्नाटक का राजनीतिक मंच बिल्कुल ही अलग तरीके से सजा हुआ है। यहां विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। पिछले लोकसभा चुनाव में भी उसे कुल 28 सीटों में से 16 सीटें मिली थीं।
विधानसभा चुनाव के बाद यहां बीजेपी दिग्गज येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली थी। लेकिन चंद दिनों बाद ही बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी और बेहद मामूली बहुमत के आधार पर कांग्रेस और जेडीएस ने कर्नाटक में सरकार बना ली।
कर्नाटक की राजनीति पर गहरी पकड़ रखने वालों का मानना है कि यहां बीजेपी ने जानबूझकर अपनी सरकार बचाने की कोशिश नहीं की। क्योंकि वह इस मुद्दे को लोकसभा चुनाव में भुनाना चाहती थी। कर्नाटक के बीजेपी नेता येदियुरप्पा की पकड़ राज्य में बहुत गहरी है। ऐसे में वह अपनी शहीद वाली छवि को लेकर लोकसभा चुनाव में उतरे हैं, जिसे ज्यादा विधायक होने के बावजूद धोखे से गद्दी से हटा दिया गया।
इसके अलावा बीजेपी जानती है कि कांग्रेस और जेडीएस का गठबंधन बेमेल है। जमीनी स्तर पर इन दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ता एक दूसरे को देखना भी नहीं चाहते। ऐसे में उसे दोनो पार्टियों की तकरार का फायदा होने की उम्मीद है।
कर्नाटक की 28 सीटों में बीजेपी को ज्यादातर सीटें पाने की उम्मीद है। हालांकि उसे यहां 2014 में 16 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार पार्टी के नेता कर्नाटक से 22 से 25 सीटें पाने की उम्मीद कर रहे हैं।
तेलंगाना में बीजेपी के पास कुछ भी खोने के लिए नहीं है
नए नवेले तेलंगाना राज्य में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी यहां की 17 सीटों में कम से कम 10 सीटें जीतना चाहती है। इसके लिए बीजेपी के तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष हर दो हफ्ते में प्रजा चैतन्य यात्रा निकाल रहे हैं। हालांकि यहां तेलंगाना राष्ट्र समिति से भी बीजेपी के संबंध ज्यादा कटु नहीं हैं। हो सकता है कि चुनाव के बाद टीआरएस भी एनडीए में शामिल हो जाए।
यहां से बीजेपी जो भी सीटें जीतेगी वह उसका फायदा ही होगा।
यानी इस बार दक्षिण भारत के इन पांचों प्रमुख राज्यों में बीजेपी नेताओं को 50 से 55 सीटें जीतने की उम्मीद कर रहे हैं। जो कि उत्तर भारत में हुए सीटों के नुकसान को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं।
Last Updated Apr 29, 2019, 4:57 PM IST
Lok sabha election 2019
BJP
South India
Amit Shah
PM Modi
North India
Telangana
Tamilnadu
TRS
Kerala
Karnataka
yediyurappa
Amma
Jaylalita
Sabrimala
Andhra Pradesh
AIADMK
Chandrababu Naidu
YSR Congress
KCR
लोकसभा चुनाव 2019
बीजेपी
दक्षिण भारत
अमित शाह
पीएम मोदी
नरेन्द्र मोदी
उत्तर भारत
तेलंगाना
तमिलनाडु
टीआरएस
केरल
कर्नाटक
येदियुरप्पा
अम्मा
जयललिता
सबरीमाला
आंध्र प्रदेश
अन्नाद्रमुक
एआईएडीएमके
चंद्रबाबू नायडु
केसीआर
वाईएसआर कांग्रेस