गुजरात के रहने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की वाराणसी संसदीय सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला यूं ही नहीं कर लिया। दरअसल वाराणसी और मोदी के बीच एक नहीं पांच कनेक्शन हैं। हम आपको पीएम और काशी के सभी संबंधों के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं। इस बार आपको बताते हैं पीएम मोदी का वाराणसी से दूसरा बड़ा कनेक्शन, जो हैं मां गंगा :-
नई दिल्ली: पीएम मोदी का वाराणसी से संबंध बेहद गहरा है। हम आपको पहले कनेक्शन के बारे बता चुके हैं। जो कि पीएम और भगवान शिव के बारे में था। इसके बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- वाराणसी से पीएम मोदी के सबसे प्रमुख कनेक्शन के बारे में यहां जानिए
भगवान शिव के बाद पीएम मोदी का वाराणसी से दूसरा कनेक्शन है मां गंगा:-
दरअसल प्रधानमंत्री ने काशी को इसलिए भी अपने संसदीय क्षेत्र के तौर पर चुना है क्योंकि गंगा किनारे बसे तीर्थों में काशी का महत्व सबसे अधिक है।
इतिहास से भी पुरानी काशी नगरी में गंगा की धारा आज भी उसी स्वरुप में है जिस स्वरुप में आज से हजारों साल पहले थी। कहा जाता है कि पीएम मोदी ने राजनीति में आने से पहले अपने कुछ सालों के संन्यासी जीवन के दौरान हिमालय से निकली गंगा की गोद में व्यतीत किया।
आज भी देश विदेश से लाखों लोग गंगा स्नान करने के लिए पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस जाते हैं।
पीएम मोदी भी वाराणसी और गंगा के इस अटूट संबंध को समझते हैं। मां गंगा के पवित्र महत्व को देखते हुए उन्होंने काशी को अपने संसदीय क्षेत्र के तौर पर चुना।
क्योंकि वह जानते हैं कि गंगा नदी का महत्व धार्मिक और पर्यावरण के साथ साथ आर्थिक भी है। भारत की लगभग 40 फीसदी से अधिक की आबादी गंगा की धारा पर ही निर्भर है। लगभग 120 प्रमुख शहर गंगा के किनारे बसते हैं। इसीलिए गंगा नदी की धारा देश की 40 फीसदी आबादी के अस्तित्व का भी प्रश्न है।
यही वजह है कि साल 2014 में पहली बार गंगा नदी के पवित्र शहर वाराणसी से चुने जाने के बाद ने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘मां गंगा की सेवा करना मेरे ही भाग्य में है।’
2014 में न्यूयॉर्क में मैडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था, “अगर हम इसे साफ करने में सक्षम हो गए तो यह देश की 40 फीसदी आबादी के लिए एक बड़ी मदद साबित होगी। अतः गंगा की सफाई एक आर्थिक एजेंडा भी है”।
मां गंगा से पीएम मोदी का प्रेम जगजाहिर है। वह अलग अलग मंचों से अपने इस प्रेम का प्रदर्शन कई बार कर चुके हैं। साल 2014 में जब उन्हें बनारस में जनसभा करने से रोक दिया था तब उन्होंने कहा था, ' उन्हें न किसी ने भेजा है और न वो आए हैं, बल्कि मां गंगा ने उन्हें बुलाया है।'
उनका यह वक्तव्य इतना प्रचलित हुआ कि आज भी लोग इसकी दुहाई देते हैं। आज भी प्रधानमंत्री मोदी जब भी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी जाते हैं तो वहां गंगा आरती में शामिल होना नहीं भूलते हैं।
WATCH PM Narendra Modi performs Ganga aarti at Dashashwamedh Ghat in Varanasi https://t.co/qw0a51YNP4
— ANI (@ANI) April 25, 2019
2014 में पहली बार जब नरेन्द्र मोदी बनारस के प्रतिनिधि के तौर पर चुने गए तो वह सबसे पहले मां गंगा के पास आए थे। उनके साथ तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अमित शाह भी मौजूद थे। मोदी ने यहां आकर मां गंगा की आरती की थी और कहा था कि 'इस मां ने मेरे लिए कई लक्ष्य निर्धारित किए हैं। मां गंगा की ओर से जब-जब जो निर्देश मिलेगा उसे वह पूरा करेंगे। शायद मां गंगा की सेवा भी मेरे ही हिस्से में लिखी थी, मैं इस काम को जरूर करूंगा।'
इसलिए प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उन्होंने अपने वादे के मुताबिक देश की इतिहास में पहली बार गंगा मंत्रालय की स्थापना की।
दिसंबर 2015 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत दौरे पर आए थे। तब पीएम मोदी उन्हें लेकर वाराणसी गए। जहां 12 दिसंबर को दोनों नेताओं ने लगभग 45 मिनट दशाश्वमेध घाट पर करीब मिनट बिताए और गंगा आरती में हिस्सा लिया।
Discussions on the banks of the Ganga. PM @narendramodi and PM @AbeShinzo in Varanasi. pic.twitter.com/gFAtsGgvls
— PMO India (@PMOIndia) December 12, 2015
मां गंगा से पीएम मोदी का प्रेम इतना गहरा है कि वह सिर्फ काशी ही नहीं बल्कि जहां भी मौका मिलता है गंगा में डुबकी लगाने से चूकते नहीं हैं। पिछले साल यानी 2018 में पीएम मोदी प्रयागराज के दौरे पर गए। जहां 16 दिसंबर 2018 को उन्होंने प्रयागराज में गंगा आरती की थी। इसके बाद 24 फरवरी 2019 को वह फिर से प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेले में पहुंचकर गंगा में डुबकी लगाई और आरती में हिस्सा लिया।
पीएम मोदी का गंगा के प्रति प्रेम इस बात से भी झलकता है कि इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गंगा की सफाई के लिए बजट को चार गुना करते हुए पर 2019-2020 तक गंगा की सफाई पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने की केंद्र की प्रस्तावित कार्य योजना को मंजूरी दे दी और इसे 100% केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ एक केंद्रीय योजना का रूप दिया।
Last Updated May 14, 2019, 6:55 PM IST