नई दिल्ली: साल 2014 में पूर्ण बहुमत की सरकार हासिल करके पीएम मोदी ने राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया था। उस समय उन्हें 282 सीटें मिली थीं यानी बहुमत से दस ज्यादा। 
लेकिन साल 2019 में उन्हें बहुमत से 30 ज्यादा यानी 302 सीटें मिली हैं। यह पीएम मोदी की नीतियों की जनता में स्वीकार्यता को दिखाता है।   
  
विपक्ष के लाख कीचड़ उछालने के बाद भी जनता ने अपने प्रधानमंत्री के दामन पर दाग के आरोपों को स्वीकार नहीं किया। यह उनकी निजी छवि का ही कमाल है कि स्थानीय स्तर पर अपने प्रतिनिधियों से विरोध होने के बावजूद जनता ने उन्हें दोबारा चुनकर भेजा। क्योंकि वह जानते थे कि उनका समर्थन न देना मोदी को कमजोर बनाएगा। 

इसलिए स्थानीय स्तर पर अपने सांसदों या प्रत्याशियों से नाराजगी के बावजूद देश की जनता ने नरेन्द्र मोदी को समर्थन दिया। जयपुर, बलिया, चंदौली, सासाराम, काराकाट, भदोही सहित देश के कई इलाकों में बीजेपी प्रत्याशियों के खिलाफ बीजेपी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन तक किया। लेकिन कोई और विकल्प नहीं होने पर उन्हें वोट देकर विजयी भी बनाया। 

कार्यकर्ताओं ने कुछ इस तरह जताया था विरोध

इसमें कोई शक नहीं है कि यह जीत बीजेपी से ज्यादा पीएम मोदी की निजी विजय है। क्योंकि यह पहला ऐसा चुनाव है जिसमें सांसदों ने मिलकर प्रधानमंत्री का चुनाव नहीं किया बल्कि प्रधानमंत्री ने जनता के बीच अपने नाम पर वोट मांगकर सांसदों को जिताकर भेजा। 

2019 की जीत इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि इसने मूल रूप से उत्तर भारतीय पार्टी को दक्षिण और पूर्व सहित पूरे भारत में स्थापित कर दिया। हालांकि केरल और तमिलनाडु में बीजेपी की रणनीति को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई। लेकिन आंध्र प्रदेश एनडीए के सहयोगी ने जीता और कर्नाटक में उसे शानदार सफलता हासिल हुई। केरल में बीजेपी ने जिस तरह कांग्रेस और वाम मोर्चा को टक्कर दी, वह दिखाता है कि भविष्य में केरल में बीजेपी की संभावनाएं उज्जवल है।  

पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु और इंदिरा गांधी के बाद नरेन्द्र मोदी देश के ऐसे तीसरे नेता हो गए हैं। जिन्होंने पूर्ण बहुमत की सरकार को दोबारा जिताने का करिश्मा किया है। 

आजादी के बाद 1951 में हुए पहले चुनाव में नेहरु जी की सरकार को कुल 489 में से 364 सीटें मिली थीं। बाद में भी वह इसी तरह जीत दर्ज करते रहे। 

नेहरु जी के बाद इंदिरा गांधी ने 1987 में 283 सीटें जीतकर सरकार बनाई। उसके 5 साल बाद 1971 में हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी ने 518 में से 352 सीटें जीत ली थीं। क्योंकि बांग्लादेश युद्ध के बाद उनकी लोकप्रियता चरम पर पहुंच गई थी। 

इन दोनों के बाद नरेन्द्र मोदी ही ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने 2014 में 282 सीटें जीतने के बाद 2019 में फिर से 302 सीटों पर जीत हासिल की है।