Premanand Maharaj of Vrindavan: वृंदावन के प्रेमानंद महाराज के रोज सैकड़ों लोग अपने सवालों का उत्तर जानने के लिए आते हैं। प्रेमानंद महाराज उन्हें धर्म और आध्यात्म से माध्यम से सटीक जवाब देते हैं और उनकी जिज्ञासा को शांत करते हैं।
Premanand Maharaj of Vrindavan: वृंदावन वाले महाराज के पास रोज सैकड़ों लोग अपने मन में उठ रहे सवालों का जवाब जानने के लिए जाते हैं। इनमें से कुछ सवाल तो ऐसे होते हैं, जो काफी रोचक भी होते हैं। प्रेमानंद महाराज उन सवालों का उत्तर भी उतने ही रोचक तरीके से देते हैं, जिसे सुनकर एक आमजन भी संतुष्ट हो जाता है। ऐसा ही एक सवाल पिछले दिनों एक पुजारी ने प्रेमानंद महाराज से पूछा, जिसका वीडियो भी इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। जानें क्या था वो सवाल और उसका जवाब…
पुजारी ने पूछा ये अजीब सवाल
पिछले दिनों किसी शिव मंदिर के पुजारी प्रेमानंद महाराज के पाए और उन्होंने सवाल किया कि ‘मैंने सुना है कि शिव मंदिर का पुजारी अगले जन्म में कुत्ता बनता है, तो इसका क्या कारण है और ये बात कहां तक सही है?’
प्रेमानंद महाराज ने दिया ये जवाब
प्रेमानंद महाराज ने जवाब दिया है कि ‘इस प्रश्न से जुड़ी कथा वाल्मीकि रामायण में मिलती है, उसके अनुसार, एक बार एक ब्राह्मण भिक्षा मांगने घर से निकले, दिन भर उन्हें कहीं से कोई भिक्षा नहीं मिली। जब वे घर लौट रहे थे तो एक कुत्ता रास्ते में पड़ा था, ब्राह्मण ने अकारण ही अपने डंडे से उसकी पिटाई कर दी।’
कुत्ते ने ये बात जाकर भगवान श्रीराम को बताई और पूछा कि ‘मैंने ब्राह्मण का कोई अहित नहीं किया था, फिर भी उसने मुझे मारा, आप उसे दंड दीजिए।’
तब श्रीराम ने कहा कि ‘रघुकाल में ब्राह्मणों को दंड देने की परंपरा नहीं है, इसलिए तुम ही कुछ दूसरा उपाय बताओ।’
श्रीराम की बात सुनकर कुत्ते ने कहा कि ‘आप इस ब्राह्मण को शिव मंदिर का पुजारी बना दीजिए।’
कुत्ते की बात सुनकर श्रीराम को बड़ा आश्चर्य हुआ और इन्होंने इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि ‘हे भगवान। मैं भी पिछले जन्म में शिव मंदिर का पुजारी था, मनमाने आचरण के कारण आज मुझे कुत्ते की योनि प्राप्त हुई है।’
कुत्ते ने आगे कहा कि ‘जब ये ब्राह्मण शिव मंदिर के पुजारी बनकर मनमाने आचरण करेंगे और भगवान के लिए आया हुआ प्रसाद व अन्य चीजें बिना उन्हें अर्पित किए स्वयं पाएंगे तो अगले जन्म में इन्हें भी कुत्ते की योनि मिलेगी, तब इन्हें पता चलेगा कि कुत्ते के रूप में जीवन यापन कितना कठिन होता है।’
ये है इस कथा का निष्कर्ष
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि ‘ऊपर बताई गई कथा से ये तात्पर्य है कि यदि आप किसी भी मंदिर में सेवा कर रहे हैं और भगवान के लिए जो भी प्रसाद, वस्त्र आदि चीजें आईं है, उनका उपभोग आप बिना भगवान को समर्पित किए कर रहे हैं तो इसका दंड अवश्य मिलेगा। इसलिए जो भी चीजें आएँ उसे आप पहले भगवान को अर्पित करें और बाद में प्रसाद रूप में उसे स्वयं ग्रहण करें। इससे आपके जीवन में कोई परेशानी नहीं आएगी।’
ये भी पढ़ें-
पिता की संपत्ति पर पहला हक किसका, क्या कहा प्रेमानंद महाराज ने?
चमत्कार ! इन 10 मंदिरों के रहस्यों के आगे वैज्ञानिक भी नतमस्तक
Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।