राज्यसभा में तीन तलाक बिल अटकने के बाद केन्द्रीय कैबिनेट तीन तलाक पर अध्यादेश लेकर आई है। यह छह महीने के लिए वैध होगा।
अलीगढ़ में कुछ दिनों पहले साधुओं की हत्या से सनसनी फैल गई थी। लेकिन जब हत्यारा गिरफ्तार हुआ तो उसका मकसद जानकर सब दंग रह गए। आखिर निरीह और गरीब साधुओं की हत्या से क्या हासिल करना चाहता था शातिर साबित। जानने के लिए पढ़ें पूरी कहानी, जिसे सुनकर किसी का भी दिल दहल जाएगा।
नीतीश कुमार अचानक दिल्ली के लिए रवाना हो गए। यहां तक कि जेडीयू के विश्वस्त सूत्रों को भी इस यात्रा के उद्देश्य के बारे मे जानकारी नहीं है। यह नीतीश कुमार का निजी दौरा बताया जा रहा है।
पिछले कई दशकों से संघ विरोधियों ने दुष्प्रचार करके जनमानस में संघ को लेकर कई तरह की भ्रांतिपूर्ण धारणाएं बना दी हैं। इन गलत धारणाओं को लेकर अक्सर विरोधी संघ पर हमला बोलते हैं और संघ समर्थकों की उर्जा, जो कि रचनात्मक कार्यों में लगनी चाहिए, वह बेवजह के आरोपों का जवाब देते हुए नष्ट हो जाती है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सिलसिलेवार ढंग से इन भ्रांतियों का निराकरण किया।
दाऊदी बोहरा समुदाय की मान्यताएं कट्टरपंथी वहाबी इस्लाम से बहुत अलग है। इसलिए कई बार तो कट्टरपंथी मौलाना, दाऊदी बोहरा लोगों को मुसलमान मानते ही नहीं। खुद बोहरा समुदाय के लोग मोहम्डन कहे जाने की बजाए खुद को मोमिन कहा जाना ज्यादा पसंद करते हैं।
सुधा भारद्वाज, वरवर राव, गौतम नवलखा, अरुण फरेरा जैसे शहरी नक्सलियों के चेहरे से शराफत और मासूमियत का नकाब उतर रहा है। एक पूर्व नक्सली ने इन सबके बारे में विस्तार से बताया है, कि कैसे यह सब मासूम समाजसेवी की खाल ओढ़े हुए नक्सली भेड़िए हैं।
ईसाई धर्म प्रचारक अक्सर सेवा, सहानुभूति और मानवीय मूल्यों की दुहाई देते हुए नहीं थकते, लेकिन एक बलात्कार के आरोपी बिशप को बचाने के लिए ‘मिशनरीज ऑफ जीसस’संस्था जिस तरह के पैंतरे आजमा रही है, वह अमानवीयता की हदें पार कर रहा है। यह जीसस के उपदेशों के भी विरुद्ध है।
राष्ट्रीय जांच एजेन्सी यानी एनआईए(NIA) ने नक्सलियों की फंडिंग यानी आर्थिक तंत्र पर वार करने की योजना बनाई है। इसके लिए छह महीने तक जांच करके एक रिपोर्ट तैयार की गई है। आइए आपको बताते हैं सरकार की रणनीति के बारे में विस्तार से-
जहां पूरी दुनिया में ई-एजुकेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। वहीं इस्लामिक संस्था दारुल उलूम देवबंद को स्मार्ट फोन से भी डर लग रहा है।
बड़े कॉरपोरेट्स विवादास्पद और कभी-कभार फर्जी अपील के जरिए बैंकरप्सी कोड के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उच्चतर न्यायालयों को ऐसे मामलों में नियमित रूप से दखल देने के लोभ से बचना चाहिए।