बेंगलुरु.आमतौर पर किसी बिल्डिंग को बनने में महीनों-सालों लग जाते हैं, लेकिन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बेंगलुरु स्थित इस इमारत को बनाने में सिर्फ 45 दिन लिए। यह एक रिकार्ड है। जिसका उद्घाटन खुद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह(Defence Minister Rajnath Singh) करने पहुंचे। वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई) में उड़ान नियंत्रण प्रणाली के लिए संस्थानिक प्रौद्योगिकी(institutional technology) का इस्तेमाल करके रिकॉर्ड 45 दिन में एक बहुमंजिला इमारत का निर्माण किया है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

लड़ाकू विमानों को विकसित करने में होगा उपयोग
इस सात मंजिला इमारत में भारतीय वायु सेना के लिए पांचवीं पीढ़ी के मध्यम वजन के गहराई तक मार करने वाले लड़ाकू विमानों को विकसित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास सुविधाएं होंगी। न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार, एक अधिकारी ने बताया कि डीआरडीओ ने एडीई, बेंगलुरु में उड़ान नियंत्रण प्रणाली के लिए हाइब्रिड प्रौद्योगिकी के जरिए एक बहु-मंजिला बुनियादी ढांचे के निर्माण को रिकॉर्ड 45 दिन में पूरा किया। इस परियोजना की प्रारंभिक विकास लागत लगभग 15,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। इस प्रोजेक्ट की नींव 22 नवंबर, 2021 को रखी गई थी। लेकिन निर्माण कार्य एक फरवरी से आरंभ हुआ था। प्रोजेक्ट में शामिल एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हाइब्रिड निर्माण तकनीक के साथ एक स्थायी और कार्य संचालन के लिए पूरी तरह तैयार सात मंजिला इमारत का निर्माण कार्य पूरा करने का यह एक अनूठा रिकॉर्ड है और ऐसा देश में पहली बार हुआ है।’’

डीआरडीओ के बारे में
डीआरडीओ भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का आरएंडडी विंग है, जो अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों और महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए भारत को सशक्त बनाने की दिशा में काम करता है। यह तीनों सेनाओं की आवश्यकताओं के अनुसार हथियार प्रणाली और उपकरण बनाता है। डीआरडीओ अग्नि और पृथ्वी श्रृंखला जैसी मिसाइलों; हल्के लड़ाकू विमान, तेजस; मल्टी बैरल रॉकेट लांचर, पिनाका; वायु रक्षा प्रणाली, आकाश; रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली की एक विस्तृत सीरिज बना चुका है।

डीआरडीओ का गठन 1958 में  किया गया था। डीआरडीओ तब 10 प्रतिष्ठानों या प्रयोगशालाओं वाला एक छोटा संगठन था। आज डीआरडीओ 50 से अधिक प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है, जो विभिन्न विषयों को कवर करने वाली रक्षा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में लगे हुए हैं। जैसे कि वैमानिकी, आयुध, इलेक्ट्रॉनिक्स, लड़ाकू वाहन, इंजीनियरिंग सिस्टम, इंस्ट्रूमेंटेशन, मिसाइल, उन्नत कंप्यूटिंग और सिमुलेशन, विशेष सामग्री, नौसेना प्रणाली।