आजकल ब्रेन स्ट्रोक का नाम सुनते ही जेहन में एक ख्याल आता है कि अब पीड़ित शख्स का बचना नामुमकिन है। एक 65 साल के बुजुर्ग के साथ ऐसा ही हुआ। उन्होंने 100 से ज्यादा बार मिनी-स्ट्रोक का झटका झेला। वह भी सप्ताह भर के अंदर। फिर आगे क्या हुआ, आइए जानते हैं।
नई दिल्ली: आजकल ब्रेन स्ट्रोक का नाम सुनते ही जेहन में एक ख्याल आता है कि अब पीड़ित शख्स का बचना नामुमकिन है। एक 65 साल के बुजुर्ग के साथ ऐसा ही हुआ। उन्होंने 100 से ज्यादा बार मिनी-स्ट्रोक का झटका झेला। वह भी सप्ताह भर के अंदर। वह इलाज के लिए अस्पतालों में भटकते रहें। आखिरकार दिल्ली के एक अस्पताल में उन्हें एडमिट किया गया। इलाज शुरु हुआ तो पता चला कि उनकी दाहिनी इंटरनल कैरोटिड आर्टिलरी में ब्लॉकेज था। इंट्राक्रैनियल स्टेंटिंग का यूज ब्लॉकेज को खोलने के लिए किया गया। दरअसल यह नस ब्रेन से गले की तरफ जाती है।
6 महीने से हाथ और पैर में महसूस हो रही थी कमजोरी
रिपोर्ट्स के अनुसार, हापुड़ के रहने वाले जौहर को पिछले छह महीने से दाहिने हाथ और पैर में कमजोरी महसूस हो रही थी। बोलने और समझने में भी दिक्कत थी। पहले यह दिक्कत सप्ताह में 1-2 बार, पांच मिनट से भी कम समय तक रहती थी। पर धीरे-धीरे उनकी दिक्कत बढ़ती गई। यह दिक्कत 10 से 15 मिनट तक चलने लगी।
स्मोकिंग की वजह से सिकुड़ गई थीं खून की नसें
डॉक्टरों के अनुसार, मरीज की खून की नसें स्मोकिंग की वजह से सिकुड़ गई थीं। बाईं तरफ का एरिया पूरी तरह ब्लॉक हो गया था, जबकि दाहिने तरफ खून की सप्लाई सिर्फ 90 फीसदी हो रही थी। मरीज कमजोरी महसूस कर रहा था। कई डॉक्टर्स से परामर्श लिया। पर कोई मरीज की बीमारी समझ नहीं सका।
ब्रेन की बाईं तरफ की नसों में था ब्लॉकेज
मरीज जब दिल्ली स्थित अस्पताल पहुंचे तो एंजियोग्राफी के दौरान पता चला कि उनके ब्रेन के बाईं तरफ की नसों में ब्लॉकेज था और दाहिने तरफ की नसें भी सिकुड़ गई थीं। सामने आया कि ब्रेन में आक्सीजन और खून की सप्लाई की कमी थी। इसकी वजह से मिनी स्ट्रोक आ रहे थे। इंट्राक्रैनियल स्टेंटिंग के बाद मरीज की तबीयत सुधरने लगती है।
जानिए कितने तरह के होते हैं ब्रेन स्ट्रोक
ब्रेन स्ट्रोक भी दो तरह के होते हैं। एक को इस्केमिक स्ट्रोक कहते हैं, जो ब्रेन में खून के प्रवाह में रुकावट की वजह से होती है। दूसरे को हैमरेज (रक्तस्रावी) स्ट्रोक कहते हैं। ब्रेन की धमनियों में रक्तस्राव की वजह से ये होता है। मिनी स्ट्रोक तब होता है, जब ब्रेन के किसी हिस्से में खून की सप्लाई अस्थायी तौर पर बंद हो जाती है। ऐसे में शरीर के एक हिस्से में कमजोरी महसूस होती है। यहां तक कि देखने और बोलने में भी दिक्कत महसूस होने लगती है। कंफ्यूजन पैदा होने के अलावा चेहरा बिगड़ने लगता है।
लाइफ स्टाइल में बदलाव लाकर कर सकते हैं कंट्रोल
डॉक्टरों के मुताबिक, कोलेस्ट्राल, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, धूम्रपान और अनियमित जीवन शैली की वजह से ब्रेन तक ब्लड पहुंचाने वाली नसें सिकुड़ जाती हैं। आमतौर पर जीवन शैली में बदलाव और कुछ मेडिसिन से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। पर जब खून पहुंचाने वाली नसें ज्यादा सिकुड़ जाती हैं तो गंभीर स्थिति हो जाती है। फिर स्टेंटिंग करनी पड़ सकती है।
Last Updated Oct 26, 2023, 11:14 AM IST