नई दिल्ली. देश को आज पहली Emergency लैडिंग एयर स्ट्रिप यानी ( Emergency Landing Facility) मिल गई। इसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने किया। जालोर-बाड़मेर जिले की सीमा पर बनी यह इमरजेंसी लैडिंग फील्ड गांधव-बाखासर सेक्शन(NH-925A) पर बनाई गई है। 

56 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट खरीदेगी इंडिया
इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। सरकार इंडियन एयर फोर्स(IAF) के लिए 56 परिवहन हवाई जहाज (transport aircraft) खरीदेगी। इनकी लागत करीब 22,000 करोड़ रुपए है। यह एक ऐतिहासिक फैसला है, यह पहली बार है, जब कोई निजी भारतीय कंपनी उड्डयन(aviation) के क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग में शामिल होगी।

राजनाथ सिंह ने यह भी कहा-सेना की परिचालन क्षमताओं में सुधार के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण देश में कई स्थानों पर आपातकालीन लैंडिंग फ़ील्ड विकसित कर रहा है। यह प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत कार्यों में भी मदद करेगा।


देश के 11 नेशनल हाईवे पर किया गया है प्लान
बता दे कि वर्ष, 2018 में देश के 11 नेशनल हाईवे (National Highway) पर इमरजेंसी लैडिंग एयर स्ट्रिप का प्लान तैयार किया गया था। तब केंद्रीय सड़क परिवहन राज्यमंत्री मनसुख मांडविया ने यह जानकारी दी थी। ये इमरजेंसी लैंडिंग एयर स्ट्रिप राजस्थान-2 के अलावा, आंध्र प्रदेश-2, तमिलनाडु-2, जम्मू-कश्मीर-2, ओडिशा-1 और पश्चिम बंगाल-1 और गुजरात-1 में होंगी। यह पहली बार है कि राष्ट्रीय राजमार्ग का उपयोग IAF के विमानों की आपातकालीन लैंडिंग के लिए किया जाएगा।

दुश्मनों के छक्के छुड़ाना होगा आसान
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने राष्ट्रीय राजमार्ग-925ए पर सत्ता-गांधव के 41/430 किमी से 44/430 किमी के तीन किलोमीटर लंबे हिस्से को भारतीय वायु सेना के लिये एमरजेंसी लैंडिंग फील्ड (ईएलएफ) के रूप में तैयार किया है। लैंडिंग सुविधा, अभी हाल में विकसित खंड़जे से बने ऊंचे किनारे वाले (फुटपाथ के रूप में) दो लेन के गगरिया-भाखासर तथा सत्ता-गांधव सेक्शन का हिस्सा है। इसकी कुल लंबाई 196.97 किमी है और इसकी लागत 765.52 करोड़ रुपये है। इसे भारतमाला परियोजना के तहत निर्मित किया गया है। इस परियोजना से बाड़मेर और जालौर जिले के सीमावर्ती गांवों के बीच संपर्कता में सुधार होगा। यह हिस्सा पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित है और इससे भारतीय सेना की सतर्कता बढ़ेगी और देश की अधोसंरचना भी मजबूत होगी।

तीन हेलीपैड भी बनाए गए हैं
इस एमरजेंसी लैंडिंग स्ट्रिप के अलावा वायुसेना/भारतीय सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुये कुंदनपुरा, सिंघानिया और भाखासर गांवों में 100X30 मीटर आकार के तीन हेलीपैड भी बनाए गए हैं। इस निर्माण से भारतीय सेना तथा देश की पश्चिमी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा तंत्र को मजबूती मिलेगी।

19 महीन में कर लिया निर्माण
ईएलएफ का निर्माण 19 महीनों के भीतर कर लिया गया था। ईएलएफ के लिए निर्माण कार्य की शुरूआत जुलाई 2019 में हुई थी और उसे जनवरी 2921 में पूरा कर लिया गया। भारतीय वायुसेना और एनएचएआई की देखरेख में यह निर्माण कार्य मेसर्स जीएचवी इंडिया प्रालि ने किया था। सामान्य दिनों में ईएलएफ का इस्तेमाल निर्बाध यातायात के लिए किया जाएगा, लेकिन जब वायुसेना को अपनी गतिविधियों के लिए इस ईएलएफ की जरूरत होगी, तो सर्विस रोड को यातायात के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। सर्विस रोड से भी आराम से यातायात चल सकता है। ईएलएफ की लंबाई 3.5 किलोमीटर है। इस लैंडिंग स्ट्रिप पर भारतीय वायुसेना के हर प्रकार के विमान उतर सकेंगे।

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