वाघाबॉर्डर। भारत ने पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान को 2,500 मीट्रिक टन गेहूं की पहली खेप रवाना कर दी है। इस खेप को विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुंदजई ने झंडी दिखाकर रवाना किया। भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि अफगानिस्तान के लोगों के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। इन संबंधों को ध्यान में रखते हुए भारत ने अफगानिस्तान के लोगों को 50,000 टन गेहूं के रूप में मानवीय समर्थन देने का फैसला किया है। यह 2500 टन की पहली खेप है। ये ट्रक अफगानिस्तान से आए हैं।

ये खेप पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान पहुंचेगी। आज दोपहर में गेहूं से लदे ट्रकों को अटारी-वाघा बॉर्डर पर लाया गया है। कस्टम की औपचारिक जांच के बाद गेहूं को रवाना कर दिया गया। विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत गेहूं की खेप भेजी गई। इसे भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के अलावा विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रतिनिधियों ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

भारत ने पाकिस्तान से अनुरोध किया था कि अफगानिस्तान में 50,000 टन गेहूं सड़क मार्ग से भेजनी है। इसके लिए वह अपनी सड़क का प्रयोग करने दे। 7 अक्टूबर 2021 को भारत ने इस्लामाबाद को ये प्रस्ताव भेजा था। वहां से 24 नवंबर को जवाब मिला। इसके बाद सड़क मार्ग से गेहूं भेजने की सारी तैयारियों पर बातचीत की गई। अफगानिस्तान की ओर से गेहूं की खेप ले जाने के लिए कई ट्रक भेजे गए थे। ये सभी ट्रक अटारी-वाघा सीमा पर बने इंटरनेशनल चेक पोस्ट पर पहुंचे।

पहले जीवन रक्षक दवाएं और सामान भेज चुका
भारत मानवीय सहायता के प्रयास के तहत कुछ माह से अफगानिस्तान में जीवन रक्षक दवाएं और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी भेज चुका है। अब क्योंकि वहां खाने का संकट है, इसलिए यह गेहूं भेजी जा रहा है। भारत की ओर से गेहूं भेजने की तैयारी की गई थी। मंगलवार शाम पांच बजे गेहूूं के लदे ट्रक पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करने के लिए आगे बढ़ गए। 

अफगानिस्तान की आर्थिक हालत खराब
तालिबान के कब्जे के कई महीने बाद भी अफगानिस्तान की आर्थिक हालत काफी खराब है। तालिबान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से गरीबी से जूझ रहे अफगानिस्तान में जबर्दस्त आर्थिक संकट का खतरा है। गरीबी और भूखमरी से लोग परेशान हैं और खाने के लाले पड़ रहे हैं।