सिस्टर लिसी व लिली पॉल, लड़की की मदद और लोगों के सहयोग से खुश थीं। परंतु उनको अब दूसरों के लिए भी कुछ करना था क्योंकि वह लड़की ही नहीं उनके स्कूल में पढ़ने वाले कई छात्र दयनीय स्थिति में थे।
कोच्चि। मानवीय संवेदनाएं अगर व्यक्ति के भीतर जीवित रहे तो देश-समाज से सौहार्द और भाईचारा को हमेशा ही कायम रखेगा। केरल की एक स्कूल प्रिंसिपल ने मानवता की एक ऐसी मिसाल पेश की है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम ही होगी। अपने स्कूल में पढ़ने वाली बच्ची के बेघर होने की बात उनके मन को इतना परेशान किया कि उन्होंने बेघर लोगों के लिए घर बनवाना शुरू किया। आमजन के सहयोग से वह अभी तक साढ़े छह सौ से अधिक घर बनवाकर बेघर लोगों को दे चुकी हैं।
कैसे पड़ी इस बेमिसाल काम की नींव
यह कहानी केरल के कोच्चि के थोप्पुम्पडी की है। अॅवर लेडीज कॉन्वेंट गर्ल्स स्कूल की प्रिसिंपल सिस्टर लिसी चक्कलक्कल हैं। करीब छह साल पहले की बात है जब सिस्टर लिसी को अपने स्कूल में पढ़ने वाली क्लास 8 की बच्ची के बेघर होने के बारे में पता चला। छात्रा ने अपने पिता को खो दिया था जो एक राजमिस्त्री थे और परिवार के पास कोई घर नहीं था। सिस्टर लिसी ने लिली पॉल के साथ, जो उसी स्कूल में शिक्षिका भी हैं, के साथ मिलकर इस छात्रा के लिए घर बनवाने में पहल शुरू की। इन लोगों ने मिलकर स्कूल के शिक्षकों, छात्रों, पड़ोसियों और अन्य लोगों से धन जुटाया। और इस प्रयास के साथ ही लड़की के परिवार के लिए 600 वर्ग फीट का घर तैयार हो गया।
Kerala: Two teachers of a school in Thoppumpady, Kochi have built 150 houses for homeless people with donations
— ANI (@ANI) September 19, 2021
"We started House Challenge Project to provide shelter to our students whose families owned land but didn't have a proper home," Sister Lissy Chakkalakkal said y'day pic.twitter.com/3o535GHTh8
लेकिन यह अंत नहीं शुरूआत था...
सिस्टर लिसी व लिली पॉल, लड़की की मदद और लोगों के सहयोग से खुश थीं। परंतु उनको अब दूसरों के लिए भी कुछ करना था क्योंकि वह लड़की ही नहीं उनके स्कूल में पढ़ने वाले कई छात्र दयनीय स्थिति में थे। फिर दोनों सिस्टर्स ने मिलकर एक बड़ी पहल की नींव डाली। दोनों ने एक पहल की और विभिन्न स्टेकहोल्डर्स, शुभचिंतकों और स्थानीय लोगों से उनके पारिवारिक कर्तव्य व अन्य जरूरतों को पूरा करते हुए कुछ धन दान देने के लिए प्रेरित किया। दोनों सिस्टर्स का प्रयास रंग लाया। कई संस्थान और अच्छी तरह से व्यवसायिक फर्म समर्थन के साथ आए। यहां तक कि निर्माण में लगे मजदूरों ने भी अपनी तरफ से योगदान दिया।
फिर हाउस चैलेंजिंग प्रोजेक्ट मुहिम शुरू हुई
वर्ष 2014 में स्कूल का प्लेटिनम जुबली समारोह था। इस समारोह में दोनों शिक्षकों ने हाउस चैलेंजिंग प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला किया। संकल्प लिया गया कि छह साल में 150 घर बनाकर बेघरों को दिए जाएंगे। इन मकानों की लागत 6 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक आई। दोनों शिक्षिकाओं की इस पहल के बाद स्कूल के करीब 80 गरीब छात्र ने मदद मांगी। इनके अलावा इन लोगों ने महिलाओं, बच्चों, विधवाओं और बीमार सदस्यों वाले बेघर परिवारों को प्राथमिकता देने का फैसला किया।
साझा करने की संस्कृति से हम हर बेघर को घर दे सकते
सिस्टर लिसी चक्कलक्कल ने बताया कि हमने अपने स्वयं के छात्रों के लिए आवास चैलेंज परियोजना शुरू की, जो बुनियादी सुविधाओं के बिना रह रहे थे। हमारा सपना हमारे समाज को 'बेघर मुक्त' बनाना है। हमने अब तक 150 घरों का निर्माण पूरा कर लिया है। इसके अलावा, लोग घरों के निर्माण के लिए भूमि दान करना भी शुरू कर दिया। शुरू में, हम उन परिवारों के लिए घर बना रहे थे जिनके पास जमीन है। अब, ऐसे लोग हैं जो घरों के निर्माण के लिए भूमि दान कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि रंजन वर्गीज नाम के एक दानदाता जिन्होंने जमीन दान देकर मदद की है। उन्होंने कहा कि अगर लोगों में साझा करने की संस्कृति है तो हम एक बेघर मुक्त समाज बनाने के अपने सपने को प्राप्त कर सकते हैं।
Last Updated Sep 20, 2021, 6:50 PM IST