पश्चिम बंगाल के भास्कर मांझी जो की एक गरीब मजदूर हैं मुश्किल से दो वक्त का खाना परिवार के लिए मुहैया कर पाते हैं वह एक झटके में करोड़पति बन गया।

पश्चिम बंगाल।  वक्त कब पलट जाए कुछ कहा नहीं जा सकता "वह कहते हैं ना हमें लगता है सब कुछ हम प्लान कर रहे हैं, लेकिन ऊपर वाला हमसे पहले से सारी प्लानिंग करके बैठा हुआ है" ऐसा ही कुछ हुआ पश्चिम बंगाल के बर्धमान में बकरी चराने वाले एक मजदूर के साथ जो सुबह बकरियों के लिए घास काटने गया था और जब घर लौटा तो करोड़पति बन चुका था। कौन है यह मजदूर कैसे बना यह करोड़पति जानते हैं डिटेल में।

₹40 उधार लेकर खरीद लॉटरी का टिकट
भास्कर माझी इतने गरीब हैं कि दूसरे की जमीन पर काम करते हैं और बकरी पाल कर दो वक्त की रोटी बड़ी मुश्किल से मुहैया कर पाते हैं। परिवार में उनकी पत्नी है चार बेटियां हैं , दो बेटियों की शादी कर चुके हैं , दो बीए कर रही हैं । सब की जिम्मेदारी भास्कर के कंधे पर है । इतने सबके बावजूद पिछले 10 साल से भास्कर मांझी को लॉटरी की लत लगी हुई थी ।10 साल से वह सिर्फ यह सोचकर लॉटरी खेल रहे थे कि आज नहीं तो कल उनकी किस्मत पलटेगी जरूर। उनका यही यकीन सोमवार के दिन हकीकत में बदल गया और उनके घर पर गांव वालों की भीड़ लग गई। भास्कर के पास लॉटरी का टिकट खरीदने का भी पैसा नहीं था एक दोस्त से ₹40 उधार लेकर ₹60 का टिकट खरीदा, इसके बाद वह बकरी चराने के लिए खेत गए और घास काटने लगे। दोपहर में लॉटरी का नंबर आया तो पता चला भास्कर माझी पहले नंबर पर हैं। भास्कर को यह बात उसे दुकानदार ने बताई जिसके ऊपर भास्कर का बकाया था।



लॉटरी का टिकट देख कर कोसते थे घर वाले 
भास्कर की लॉटरी की लत से उनके घर वाले बहुत परेशान थे जब भी उनकी पॉकेट में लॉटरी का टिकट परिवार के लोग देखते तो उन्हें दिन-रात उल्टा सीधा सुनने लगते। परिवार के लोगों का यह कहना था की बड़ी मुश्किल से दो वक्त की रोटी मिल पाती है उसमें भी यह पैसे लॉटरी में उड़ा देते हैं। पहली अक्टूबर को भी भास्कर के पास पैसे नहीं थे उन्होंने अपने दोस्त से पैसा उधार लिया ₹60 का टिकट खरीदा और बकरी के लिए घास काटने चले गए। भास्कर के करोड़पति होने की खबर पूरे गांव में जंगल के में आग की तरफ फैल गई । दूर दराज से लोग भास्कर से मिलने आने लगे। गांव के लोग बधाइयां देने लगे।

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