करियर डेस्क. कुमार केशव (Kumar Keshav) ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में सफलता हासिल की है। यूपीएससी 2020 (UPSC 2020) की परीक्षा में उनकी 491वीं रैंक आयी है। उन्हें भारतीय राजस्व सेवा के तहत आयकर विभाग में अफसर बनने का मौका मिल सकता है। छह साल की जर्नी में लगातार मिल रही असफलताओं के बावजूद वह अपने लक्ष्य से नहीं डिगे। केशव कहते हैं कि उन्होंने अपनी जर्नी के दौरान दो चीजें महत्वपूर्ण पायीं। पहला जब रिजल्ट निगेटिव आता है तो थोड़े दिन के लिए ब्रेक लेना जरूरी होता है, क्योंकि उस समय बहुत निराशा होती है तो उस समय कम से कम 5 से 7 दिन का ब्रेक जरूरी है। फिर सोचें कि रिजल्ट आपके पक्ष में क्यों नहीं आया। दूसरा पीएच फार्मूला यानि पेशेंस और हार्डवर्क पर विश्वास करें। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने कुमार केशव से बातचीत की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज जर्नी।  

कमियों को अपनी ताकत बनाने की कोशिश करते थे केशव

निगेटिव रिजल्ट आने के बाद केशव घर आ जाते थे। वह सफल क्यों नहीं हो रहे हैं। इस पर विचार करते थे और अपनी कमियों का विश्लेषण करने के बाद अपनी कमियों को अपनी ताकत बनाते की कोशिश करते थे। घर में मां-पिता से बातचीत करते थे। वह लोग भी उन्हें समझाते थे। फिर वह तय करते थे कि इस बार की परीक्षा में और अच्छे से लिखूंगा और बेहतरीन करने की कोशिश करूंगा और लोगों से डिस्कश करूंगा तो क्यों नहीं सफल हो सकता हूं।

छोटे से कस्बे से पढ़ाई कर तय किया यूपीएससी तक का सफर

यूपी के इटावा के लखना कस्बे के रहने वाले कुमार केशव की कक्षा आठ तक की पढ़ाई कस्बे के ही आरएस पब्लिक स्कूल में हुई। उन्होंने 9वीं से 12वीं तक की शिक्षा बकेवर के जनता इंटर कॉलेज से पूरी की। हाईस्कूल में उनके अच्छे अंक आए थे। वह जिले के टॉप 10 स्टूडेंट में शामिल थे। इसके बाद उन्होंने हंसराज कॉलेज, दिल्ली में बीएससी में एडमिशन लिया। उन्होंने 10वीं  कक्षा में ही तय कर लिया था कि सिविल सर्विस की तैयारी करनी है। ग्रेजुएशन के बाद वर्ष 2016 में उन्होंने पहला अटेम्पट दिया था लेकिन प्रीलिम्स नहीं निकला। वर्ष 2017 में मेन्स तक पहुंचे। वर्ष 2018 में इंटरव्यू तक गये लेकिन पर मेरिट लिस्ट में जगह नहीं मिली लेकिन वर्ष 2019 में मेंस में अटक गए। वर्ष 2020 में उनका पांचवां अटेम्पट था। मेन्स में ऐंसर राइटिंग के लिए उन्होंने इंग्लिश मीडियम का ही चयन किया था। इंटरव्यू के लिए हिंदी माध्यम चुना।

इन चीजों की वजह से हुए थे मोटिवेट

कुमार केशव के ताऊजी राजेन्द्र कुमार वर्मा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जज हैं। वह भोपाल के जिला जज भी रहे। इस समय इंदौर बेंच में जज के तौर पर कार्यरत हैं। केशव को बचपन से ही अपने ताऊजी को देखकर इंस्पिरेशन मिलती थी कि उन्हें भी इसी तरह से जीवन में कुछ करना है। जब वह घर आते थे तो उन्हें जो सोशल प्रेस्टीज मिलती थी। उससे वह प्रेरित हुए। उनकी मां ने शुरू से ही मोटिवेट किया कि उनके बच्चे ऑफिसर बनें और जब बड़े हुए तो पता चला कि यूपीएससी परीक्षा होती है। इससे प्रशासनिक सेवा का मौका मिलता है। केशव कहते हैं कि यही दो चीजें थी। जिससे वह सिविल सर्विस की तैयारी की तरफ आगे बढ़ा। सिविल सर्विस में जाने का लक्ष्य बनाकर ही उन्होंने बीएससी में एडमिशन लिया था और तैयारी शुरू कर दी।

यूपीएससी क्लियर करने के लिए गाइडेंस जरूरी

उन्होंने अपने यूपीएससी जर्नी की शुरूआत बहुत ही आशा और जोश के साथ की थी। उनका कहना है कि तैयारी करने वाले बच्चे वास्तविकता से अवगत नहीं होते हैं। मेहनत करते हैं पर उनको पता नहीं होता है कि वह सही दिशा में मेहनत कर रहे हैं या नहीं। पेपर अटेम्पट करने की एक कला होती है। बाद में पता चलता है कि गाइडेंस की बहुत जरूरत होती हैं। गाइडेंस की कमी थी, स्ट्रगल भी था। शुरुआती साल इसी में खराब हुए। वर्ष 2018 में इंटरव्यू तक गया, आशा थी हो जाएगा, पर नहीं हुआ। जब वर्ष 2019 में मेंस भी क्लियर नहीं हुआ तो बहुत ही निराशा हुई लेकिन फैमिली का सपोर्ट था। उसके पहले उनके बड़े भाई कुमार कृष्णा की नौकरी लग गयी थी। वर्ष 2015 में उनका चयन हो गया था और वर्ष 2016 में उन्होंने मुम्बई में कस्टम इंस्पेक्टर के पद पर ज्वाइन कर लिया था। एक सस्टेनिबिलिटी की समस्या नहीं थी। इससे सहायता मिली। अब सफलता मिली तो मां-पिताजी बहुत खुश हुए। यही बेस्ट सैटिस्फेकशन है। कुल मिलाकर जर्नी अच्छी रही।

जो भी हूं मां और पिता की वजह से

वह अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां गौरी रानी और पिता अजय सिंह को देते हुए कहते हैं कि उन्होंने शुरू से सपना देखा कि बच्चे पढ़ लिखकर अफसर बनेंगे। हर तरह से हेल्प करते थे। मां मेरे रूम पर परीक्षा के समय रूकती थी। पापा अकेले पूरा घर मैनेज करते थे। ऐसा कई बार हुआ। मैंने पांच साल अटेम्पट दिया। मम्मी 15 से 20 दिन के लिए मेरे पास है। पापा अकेले घर पर हैं। मेंस परीक्षा जनवरी में हो रही है। कड़ाके की ठंड है। परिवार ने मेंटली, फिजिकली और इकनॉमिकली सपोर्ट किया। फेलियर में सपोर्ट किया कि करो हो जाएगा। उनका कहना है कि जो भी हूं, मां-पिता की वजह से ही हूं। उनके पिता की सर्राफा बाजार लखना में ज्वेलरी की दुकान हैं।

पिछले इंटरव्यू के बाद हो गया था सेल्फ डाउट

कुमार कमलेश का जब से मेन्स का रिजल्ट आया और उन्होंने इंटरव्यू की तैयारी शुरू की तो उनके दिमाग में एक ही चीज थी। पिछली बार के इंटरव्यू में उनके बहुत अच्छे मार्क्स नहीं आए थे। उसकी वजह से उनका यूपीएससी में सलेक्शन नहीं हो पाया था। इसकी वजह से खुद की पर्सनालिटी को लेकर उनके मन में निगेटिव परसेप्शन बन गया था। बीते इंटरव्यू के बाद उनको सेल्फ डाउट हो गया था। उन्हें खुद लगता था कि उनके अंदर वह चीज है या नहीं है। जिससे उनका चयन हो सके। इस बार इंटरव्यू के पहले वह डरे हुए थे। हालांकि टीचर्स ने उनका मनोबल बढ़ाया। अच्छा फीडबैक दिया। जिससे उनका उत्साह बढ़ा।

नेचुरल बिहैवियर अपनाया, हिंदी में दिया इंटरव्यू

उन्होंने यह तय कर लिया था कि इस बार सफल होना है। उन्होंने इंटरव्यू के लिए अपनी भाषा का बदलाव किया। अपनी नेचुरल टंग को प्रीफर किया। टीचर्स से गाइडेंस ली। उससे फायदा हुआ। उन्होंने सीनियर्स से मिलकर कुछ चीजें जानी। उनका कहना है कि इंटरव्यू में खुलकर बात करनी है कि एक ऑफिसर लोगों से डील करेगा तो कैसे करेगा। यह पर्सनालिटी टेस्ट होता है। फिर वह पिछली असफलता को ओवरकम कर नये सिरे से आगे बढें। उन्होंने तय किया कि यदि उनके अंदर कुछ नया है तो इंटरव्यू बोर्ड को दिखेगा ही। नेचुरली बिहैवियर को अपनाया। हिंदी में इंटरव्यू दिया, खुलकर बात की। इस बार उनके इंटरव्यू में मार्क्स भी बेहतर आये। उनके मार्क्स 140 से बढ़कर 190 हुए। 30 से 35 मिनट तक इंटरव्यू चला। इस दौरान उनसे 30 से 32 प्रश्न हुए। उन्होंने 26 से 27 प्रश्नों का सही उत्तर दिया था।

यूथ अपनी जिम्मेदारी समझें

कुमार केशव कहते हैं कि यूथ अपनी जिम्मेदारी समझे। जिम्मेदारी परिवार, समाज और देश के प्रति होती है। अपने जीवन में कुछ न कुछ बनें और करें और सकारात्मक तरीके से सोसाइटी और देश में योगदान दें, लक्ष्य निर्धारित करें। उनका अनुभव रहा है कि अगर हम किसी चीज के लिए मेहनत करते हैं और लगे रहते हैं, हार नहीं मानते हैं तो लक्ष्य हासिल हो ही जाता है। लक्ष्य निर्धारण से पहले खूब चिंतन-मनन करें। एक बार जब लक्ष्य तय कर लिया तो जी तोड़ मेहनत करें।

रिर्सोसेज और बुक लिस्ट को फिक्स करें

उनका कहना है कि यूपीएससी की तैयारी के लिए एस्पिरेंटस पहले अपने रिर्सोसेज और बुक लिस्ट को फिक्स करें। कम से कम किताबों को ज्यादा से ज्यादा बार पढें। इतना ज्यादा पढ़ाई का शेड्यूल न बनाएं कि पढ़ने का मन ही नहीं करें। उचित पढाई का शिडयूल बनाएं, उसे फॉलो करें। परिवार कुछ अच्छे दोस्त या रिलेटिव के लिए समय निकालें। उनसे कनेक्टेड रहें। यदि एक दम कटआफ होना चाहेंगे तो आपका साइकोलाजिकल मोटिवेशन लेबल कम हो जाएगा। सोशल मीडिया से दूर रहें। यूटयूब को अपने परीक्षा के मकसद से यूज करें। फालतू की चीजें न देखें।