करियर डेस्क. सुमित कुमार पांडेय (Sumit Kumar Pandey) की UPSC 2020 में 337वीं रैंक आई है।  उनका कहना है कि इंटरव्यू से पहले मॉक टेस्ट देने से मनोबल बढ़ता है। उन्होंने कहा पहली बार जब एस्पिरेंटस इंटरव्यू देने जाते हैं तो उन्होंने यह सुन रखा होता है कि बोर्ड में काफी अनुभवी लोग बैठे रहते हैं, इस वजह से नर्वसनेस सी फील आती है। प्रश्न काफी प्रासंगिक पूछे जाते हैं। यदि इंटरव्यू से पहले 7 से 8 मॉक टेस्ट दिए जाएं तो उससे बोलचाल का प्रवाह काफी सही हो जाता है। सुमित वर्ष 2019 में भी इंटरव्यू तक पहुंचे थे। इसलिए वह यूपीएससी 2020 के इंटरव्यू के दौरान सहज थे। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने सुमित कुमार से बातचीत की। आइए जानते हैं उनसे किस तरह के सवाल पूछे गए थे।


सवाल- न्यू एजूकेशन पालिसी और वर्ष 1986 की एजूकेशन पालिसी में क्या-क्या अंतर है, ऐसे तीन प्रावधान बताइए?
जवाब- एक एनजीओ का सर्वे आया था। उसके हिसाब से जो कक्षा पांच में पढ़ रहे हैं। वह कक्षा तीन के स्तर का टेस्ट नहीं पढ़ पाते हैं। कक्षा 2 के स्तर का गणित नहीं हल कर पाते हैं। क्वालिटी आफ एजुकेशन खराब है। उस पर काफी ज्यादा फोकस है कि न्यूमरल और फाउंडेशनल लिटरेसी को बढ़ाया जाए। दूसरा वोकेशनल एजुकेशन पर काफी ज्यादा फोकस है कि पढ़ने के साथ-साथ हम कुछ स्किल सीखें। स्किल डेवलपमेंट काफी ज्यादा जरूरी है। लोग पासआउट तो कर जाते हैं पर उन्हें रोजगार नहीं मिलता है। तीसरा प्राइमरी एजुकेशन के स्तर पर मातृभाषा में पढ़ाने की बात की गई है। विश्लेषण में पाया गया है कि यदि छोटी कक्षा के बच्चे अपनी मातृभाषा में पढ़ें तो ज्यादा चीजें ग्रहण कर पाएंगे।

सवाल- अफगानिस्तान में इंडिया और चाइना का स्टेक क्या है और इंडिया उसमें क्या कर सकता है?
जवाब- इंडिया का स्टेक है कि अफगानिस्तान में यदि सिक्योरिटी का इश्यू होता है तो उसका असर हमारे देश में भी देखने को मिलेगा। वहां पर हमने काफी ज्यादा विकास किया हुआ है। वहां काफी पैसे लगे हुए हैं। तालिबान अगर कंट्रोल करता है तो इन सब चीजों का फायदा नहीं होगा। अफगानिस्तान में माइनिंग को यदि तालिबान कंट्रोल कर रहा है तो वह अपने हिसाब से किसी देश को आयात-निर्यात करेंगे तो ट्रेड वाली चीजें थोड़ी असंतुलित होंगी। चाइना में कुछ माइनारिटी कम्यूनिटी है, जिनको थोड़ा दबाया जाता है और वह लोग मुस्लिम कम्युनिटी से आते हैं। तालिबान उस चीज का सपोर्ट करता है कि उन्हें दबाया न जाए। चाइना का सबसे बड़ा स्टेक है कि तालिबान उन लोगों को सपोर्ट न कर पाए। वह कैसे भी करके तालिबान के साथ कोआर्डिनेट करेगा।

सवाल- फेडरल स्ट्रक्चर में भाषा का मुददा कैसे समस्या खड़ी करता है, भाषा के स्तर पर डिमांड होने लगती है कि नया राज्य चाहिए, यह सब चीजें कैसे सही हो सकती है?
जवाब- भाषा का मुददा हमेशा से ही रहा है। वर्ष 1960 में ज्यादा था पर अब सही हो गया है। अभी ऐसा कोई मांग नहीं आती है कि भाषा के आधार पर नया राज्य बनाया जाए। अगर सारे भाषाओं को बराबर का दर्जा दिया जाए। हिंदी को थोपना नहीं है। बाकि क्षेत्रीय भाषाओं को भी प्रमोट किया जाए। इससे सद्भाव सा रहेगा। इससे ऐसी फीलिंग नहीं आएगी की हमारी भाषा को दबाया जा रहा है।

सवाल- डेटा एनालिटिक्स के गवर्नेंस में क्या यूज हैं?
जवाब- डेटा एनालिटिक्स का प्रयोग सरकारी और निजी सेक्टर हर जगह पर है। निजी क्षेत्र डेटा का यूज करके अपना लाभ बढाते हैं। अपनी एफिशिएंसी बढाते हैं। जैसे—अमेजन से आपने एक प्रोडक्ट खरीदा, वह दूसरा रिकमंड करेगा। यह डेटा एनालिटिक्स ही है। सरकारी क्षेत्र में एविडेंस बेस्ड पॉलिसी मेकिंग होती है। उसका काफी चीजों में यूज है। अभी आईटी विभाग ने डेटा एनालिटिक्स का यूज करके क्रैक डाउन किया था कि कई लोग टैक्स चोरी कर रहे हैं। उनको पकड़ा जाए।

सवाल- बिहार के गोपालगंज में 1990 और 1980 के दशक में दो डीएम के मर्डर हुए थे। वर्ष 2019 के इंटरव्यू में उनसे सवाल किया गया था कि अगर ऐसी चीजें होती हैं और आप उस जगह से आते हैं तो फिर आप सिविल सर्विस में आना ही क्यों चाहते हैं?
जवाब- इन चीजों से डर जाएंगे तो क्या करेंगे। इन सब चीजों से पता है कि चैलेंजेज हैं, फिर भी आना चाहता हूं।

हार्डवर्क का कोई विकल्प नहीं
सुमित का मानना है कि हॉर्डवर्क का कोई विकल्प नहीं है। यह भी कहा जाता है कि प्रतिभा काम नहीं करती, मेहनत प्रतिभा को मात देती है। पढ़ाई में कंसिस्टेंसी होनी चाहिए। परीक्षा की डिमांड समझनी चाहिए। मेंस की परीक्षा ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। ऐंसर राइंटिग स्किल काफी महत्व रखती है। इसे अभ्यास करके डेवलप किया जा सकता है। डिमोटिवेशन आए तो मेंटल सपोर्ट बहुत जरूरी है। वह भी एक ऐसा मेंटल सपोर्टर होना चाहिए, जिसे यह भी फर्क नहीं पड़ता है कि परीक्षा क्लियर होगी या नहीं। फाइनेंसिलय कंडिशन ठीक नहीं है और आप घर से पैसा मांग रहे हैं, तो एक प्रेशर बनता है कि यह पैसा यूज कर रहे हैं, परीक्षा क्लियर होगी या नहीं। कोशिश करें कि कुछ दिन काम करके फाइनेंसियल प्राब्लम खुद से ही सिक्योर करें।

ब्लाइंडली किसी को फॉलो करना जरूरी नहीं
सुमित कहते हैं कि ब्लाइंडली किसी को फॉलो करना जरूरी नहीं है। हमें अपनी ताकत और कमजोरी को ध्यान में रखकर ही किसी प्लान को फॉलो करना चाहिए। जैसे यदि किसी ने कह दिया कि न्यूजपेपर पढ़ना जरूरी है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप डेली तीन से चार घंटे अखबार ही पढ़ रहे हैं। परीक्षा की डिमांड समझना बहुत जरूरी है कि उसको कैसे अचीव किया जा रहा है। तैयारी के दौरान इसका आंकलन करते रहना होगा।