कोवैक्सीन के निर्माता भारत बायोटेक (Bharat Biotech)ने बीते 19 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से कोवैक्सीन के अप्रूवल के लिए एप्लिकेशन दी थी। लेकिन डब्ल्यूएचओ की टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ने इसको अभी तक मंजूरी नहीं दी थी।
नई दिल्ली। भारत में बन रही कोवैक्सीन (Covaxin) को डब्ल्यूएचओ (WHO)की मंजूरी मिल गई है। लंबे इंतजार के बाद बुधवार को टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ने Bharat Biotech की कोवैक्सीन (Covaxin)को एप्रुवल दे दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस मंजूरी के बाद अब भारत के इस वैक्सीन को ग्लोबल मान्यता मिल गया है। यानी जो इस वैक्सीन का इस्तेमाल कर लिए हैं या करने वाले हैं, वह विदेश यात्रा बिना किसी रोकटोक के कर सकते हैं। साथ ही इस वैक्सीन का अन्य देश भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
बीते दिनों डब्ल्यूएचओ ने मांगे थे काफी डिटेल्स
कोवैक्सीन के निर्माता भारत बायोटेक (Bharat Biotech)ने बीते 19 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से कोवैक्सीन के अप्रूवल के लिए एप्लिकेशन दी थी। लेकिन डब्ल्यूएचओ की टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ने इसको अभी तक मंजूरी नहीं दी थी। बीते दिनों डब्ल्यूएचओ ने कोवैक्सीन को लेकर भारत बायोटेक से कई अन्य जानकारियां मांगी थी। टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप (Technical advisory group)ने बुधवार को हुई मीटिंग में इस पर निर्णय लिया है। टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप भारतीय वैक्सीन को सभी मानकों पर परखने के बाद ही इसको हरी झंडी दे दी।
WHO today granted for Emergency Use Listing (EUL) of Made-in-India Covaxin. On this occasion, I congratulate scientists of ICMR and Bharat Biotech (the manufacturer of Covaxin): Union Health Minister Mansukh Mandaviya
— ANI (@ANI) November 3, 2021
(File photo) https://t.co/c9PTViNR5F pic.twitter.com/77ucUGCcLq
मंजूरी के बाद इस वैक्सीन को लगाने वाले कर सकेंगे विदेश यात्रा
दरअसल, कोवैक्सीन का डोज लेने वाले विदेश यात्रा नहीं कर पा रहे थे। वजह यह कि कोरोना की इस भारतीय वैक्सीन की विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी नहीं मिल सकी थी। अप्रैल से ही मामला पेंडिंग होने की वजह से विदेश यात्रा करने वाले भारतीयों को विशेष दिक्कतें झेलनी पड़ रही थी। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी मिलने के बाद इसे वैक्सीन पासपोर्ट की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा। साथ ही भारत बायोटेक इसे आसानी से दुनियाभर में एक्सपोर्ट भी कर पाएगी।
दावा: 78% इफेक्टिव है कोवैक्सिन
कोवैक्सीन को भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने मिलकर बनाया है। फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल्स के बाद कंपनी ने दावा किया था कि वैक्सीन की क्लिनिकल एफिकेसी 78% है, यानी यह कोरोना इन्फेक्शन को रोकने में 78% इफेक्टिव है। गंभीर लक्षणों को रोकने के मामले में इसकी इफेक्टिवनेस 100% है।
डब्ल्यूएचओ के इमरजेंसी यूज अप्रूवल क्यों जरुरी?
दरअसल, डब्ल्यूएचओ उन प्रोडक्ट्स या दवाइयों की इमरजेंसी लिस्टिंग करता है और अप्रूवल देता है जो महामारी के दौरान पब्लिक हेल्थ के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। डब्ल्यूएचओ संबंधित महामारी में उस वैक्सीन के प्रभाव और सुरक्षा की जांच परख कर अप्रूवल देता है। कोरोना महामारी के दौरान भी डब्ल्यूएचओ तमाम वैक्सीन्स को इमरजेंसी यूज के लिए लिस्टिंग किया है। बुधवार को भारत की कोवैक्सीन को भी एप्रूवल मिल गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फाइजर की वैक्सीन को 31 दिसंबर 2020 को, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को 15 फरवरी 2021 को और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को 12 मार्च को इमरजेंसी यूज अप्रूवल दिया था।
Last Updated Nov 3, 2021, 9:14 PM IST