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मां, अफसर या योद्धा? IPS मोक्षदा पाटिल की जिंदगी के 9 राज, जो आपको हैरान कर देंगे!

Inspirational Story: IPS मोक्षदा पाटिल की कहानी, जिन्होंने जंगलों में नक्सलियों से लेकर बड़े साइबर क्राइम तक पर शिकंजा कसा। पढ़ें एक्शन, इन्वेस्टिगेशन और पुलिस ऑपरेशन्स की 9 रोमांचक कहानियां!

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Surya Prakash Tripathi
Published : Mar 10 2025, 12:54 PM IST | Updated : Mar 10 2025, 12:57 PM IST
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मां, अफसर या योद्धा? IPS मोक्षदा पाटिल की जिंदगी के 9 राज, जो आपको हैरान कर देंगे!

मां, अफसर या योद्धा? IPS मोक्षदा पाटिल की जिंदगी के 9 राज, जो आपको हैरान कर देंगे!

Inspirational Story: IPS मोक्षदा पाटिल की कहानी, जिन्होंने जंगलों में नक्सलियों से लेकर बड़े साइबर क्राइम तक पर शिकंजा कसा। पढ़ें एक्शन, इन्वेस्टिगेशन और पुलिस ऑपरेशन्स की 9 रोमांचक कहानियां!

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1: मुंबई की लोकल से पुलिस मुख्यालय तक का सफर

1: मुंबई की लोकल से पुलिस मुख्यालय तक का सफर

भीड़ भरी मुंबई लोकल में सफर करने वाली एक साधारण लड़की से लेकर वर्दी पहनने तक का सफर आसान नहीं था। मोक्षदा पाटिल, जो हर दिन चार घंटे की यात्रा कर अपनी पढ़ाई करती थीं, एक दिन देश की सबसे सम्मानित आईपीएस अफसरों में से एक बनेंगी, यह किसी ने नहीं सोचा था। लेकिन उन्होंने खुद पर भरोसा रखा और अपने सपनों को हकीकत में बदलने का संकल्प लिया।

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2: नागपुर में पहला ऑपरेशन – जंगल में घातक एनकाउंटर

2: नागपुर में पहला ऑपरेशन – जंगल में घातक एनकाउंटर

मोक्षदा पाटिल IPS बनने के बाद उनकी पहली तैनाती नागपुर ग्रामीण में हुई, जहां नक्सल प्रभावित क्षेत्र में एक ऑपरेशन में उनकी तेजी और रणनीति ने कई वरिष्ठ अधिकारियों को भी चौंका दिया। जब खुफिया सूचना मिली कि जंगल में एक मोस्ट वांटेड गैंग छिपा हुआ है, तो उन्होंने बिना देर किए ऑपरेशन प्लान किया। पहली बार जब उन्होंने गोलीबारी का सामना किया, तो डर को मात देकर आगे बढ़ीं।

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3: वाशिम में परंपराओं को चुनौती – हथियारबंद जुलूस पर कार्रवाई

3: वाशिम में परंपराओं को चुनौती – हथियारबंद जुलूस पर कार्रवाई

2017 में, वाशिम जिले में एक धार्मिक उत्सव के दौरान हजारों तलवारों, खंजरों और एयरगनों से लैस ट्रकों की परेड देख उन्होंने तुरंत कार्रवाई की। लोगों को समझाया, चेतावनी दी, पर जब हालात नहीं बदले, तो 300 से ज्यादा हथियार जब्त कर अपराध दर्ज किए गए। 2019 तक, यह पूरी तरह बदल गया—हथियारों की जगह फूलों और गुब्बारों से सजे वाहन निकलने लगे।

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4: 2 साल की बच्ची का केस – अपराधी को सजा दिलाने की जिद

4: 2 साल की बच्ची का केस – अपराधी को सजा दिलाने की जिद

एक केस जिसने उन्हें भीतर तक झकझोर दिया—60 साल के आदमी द्वारा 2 साल की बच्ची से बलात्कार। जब यह मामला सामने आया, तो मोक्षदा पाटिल ने दिन-रात एक कर दिया। फास्ट-ट्रैक कोर्ट में पुख्ता सबूतों और उनकी सख्त निगरानी की वजह से अपराधी को जल्द से जल्द सजा दिलाई गई।

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5: सीक्रेट ऑपरेशन – महिलाओं की तस्करी रैकेट का भंडाफोड़

5: सीक्रेट ऑपरेशन – महिलाओं की तस्करी रैकेट का भंडाफोड़

एक गुप्त ऑपरेशन में, उन्हें पता चला कि अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी रैकेट मुंबई और औरंगाबाद से संचालित हो रहा था। ऑपरेशन ‘शक्ति’ के तहत उन्होंने एक नकली ग्राहक बनकर अपराधियों तक पहुंच बनाई। 72 घंटे के भीतर 12 लड़कियों को छुड़ाया गया और 6 अपराधी गिरफ्तार हुए।

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6: जब खाकी वर्दी ने 'लेडी सिंघम' का रूप लिया

6: जब खाकी वर्दी ने 'लेडी सिंघम' का रूप लिया

एक रात, एक खूंखार गैंगस्टर की गिरफ्तारी के लिए ऑपरेशन प्लान किया गया। जब टीम के कुछ अधिकारियों ने संकोच किया, तो मोक्षदा पाटिल ने खुद आगे बढ़कर नेतृत्व किया। सिर्फ 15 मिनट में उस अपराधी को घेरकर सरेंडर के लिए मजबूर कर दिया। यही वह दिन था जब लोग उन्हें ‘लेडी सिंघम’ कहने लगे।

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7: साइबर क्राइम – 50 करोड़ की ऑनलाइन ठगी का पर्दाफाश

7: साइबर क्राइम – 50 करोड़ की ऑनलाइन ठगी का पर्दाफाश

जब 50 करोड़ रुपये के ऑनलाइन ठगी मामले में कोई सुराग नहीं मिल रहा था, तब उन्होंने साइबर एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर एक नया प्लान बनाया। फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश कर 25 लोगों को गिरफ्तार किया और 30 करोड़ की संपत्ति जब्त की।

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8: जब मां और आईपीएस अधिकारी का किरदार टकराया

8: जब मां और आईपीएस अधिकारी का किरदार टकराया

रात के 2 बजे जब एक इमरजेंसी ऑपरेशन के लिए बुलावा आया, तो उनका बच्चा सो रहा था। उन्होंने ड्यूटी चुनी और घर से निकल पड़ीं। मातृत्व और कर्तव्य के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए, यह उन्होंने बखूबी सीखा और अन्य महिला अधिकारियों के लिए प्रेरणा बन गईं।

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9: अपराधियों के लिए डर, जनता के लिए भरोसा

9: अपराधियों के लिए डर, जनता के लिए भरोसा

 मोक्षदा पाटिल का मानना है कि "पुलिस की वर्दी सिर्फ सख्ती नहीं, बल्कि न्याय, सहानुभूति और जिम्मेदारी का प्रतीक होनी चाहिए।" उनके हर केस ने साबित किया कि वे केवल एक सख्त पुलिस अधिकारी नहीं, बल्कि एक बदलाव लाने वाली शख्सियत हैं।

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दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत से हासिल किया मुकाम

दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत से हासिल किया मुकाम

2011 बैच की महाराष्ट्र कैडर की आईपीएस अधिकारी मोक्षदा पाटिल ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत से न केवल अपराध से लड़ा, बल्कि समाज की सोच को भी बदला। वो बताती हैं कि नागपुर ग्रामीण में उनकी पहली पोस्टिंग चुनौतीपूर्ण थी, जहां लोग एक महिला अधिकारी को स्वीकार करने में हिचकिचा रहे थे। "लेकिन मैंने उन्हें दिखाया कि नेतृत्व लिंग पर नहीं, बल्कि कार्यों पर निर्भर करता है। और जब उन्होंने मेरी मेहनत देखी, तो उन्होंने मुझे एक अधिकारी के रूप में अपनाया, सिर्फ एक महिला के रूप में नहीं," वह कहती हैं।

 

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Surya Prakash Tripathi
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