मध्यप्रदेश। भारत के किले देश के ऐतिहासिक धरोहर हैं राजस्थान, मध्य प्रदेश, ग्वालियर समेत तमाम शहर अपने ऐतिहासिक किलो के लिए मशहूर है।  कुछ किले  वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल हो चुके हैं । हर किला अपने अतीत में एक रहस्य छुपाए हुए हैं। अन्य किलो में एक है मध्य प्रदेश में रायसेन का किला। कुछ लोग इस किले को हांटेड भी कहते हैं। इस किले  मैं कई राज दफन है लेकिन एक कहानी ऐसी भी है जो खौफनाक है इस आर्टिकल में हम आपको रायसेन फोर्ट के बारे में बताएंगे  ।

क्या है किले का इतिहास
1200 ईस्वी में मध्य प्रदेश के रायसेन में इस किले का निर्माण हुआ था। यह किला पहाड़ी की चोटी पर मौजूद है। कई शताब्दी  गुजर जाने के बाद भी आज भी यह किला पूरे शान से खड़ा है । किले के चारों तरफ बड़ी-बड़ी दीवारें हैं दीवारों में नौ दरवाजे हैं और 13 बुर्ज हैं। इस किले को  धार्मिक समानता का प्रतीक भी माना जाता है क्योंकि किले के अंदर एक मंदिर और एक मस्जिद है। कहा जाता है कि इस किले को जीतने के लिए शेरशाह ने 4 महीने की घेराबंदी किया लेकिन नहीं जीत पाया। अंत में उसने राजा पूरणमल के साथ धोखा किया। जैसे ही राजा को पता चला की शेरशाह ने उन्हें के लोगों के साथ मिलकर उनके साथ धोखा किया उन्होंने अपनी पत्नी रानी रत्नावली को बचाने के लिए उनका सिर काट दिया।



किले में मौजूद है पारस का पत्थर
इस किले से जुड़ी एक और कहानी है जिसके बारे में कहा जाता है कि राजा राजसेन के पास पारस का पत्थर था जो लोहे को भी सोना बन सकता था। इस पत्थर को हासिल करने के लिए कई बार युद्ध भी हुए और जब राजा राज सेन हार गए तो उन्होंने पारस पत्थर को किले में मौजूद एक तालाब में फेंक दिया। इस पत्थर को ढूंढने के लिए कई बार किले की खुदाई की गई लेकिन किसी को भी यह पत्थर आज तक नहीं मिला।


तांत्रिक जाते हैं किले में
कहां जाता है कि पारस पत्थर को ढूंढने के लिए लोग हर तरह के जतन करते हैं।  कुछ लोग अपने साथ तांत्रिकों को भी लेकर जाते हैं लेकिन तांत्रिक भी अपने तंत्र-मंत्र में सफलता हासिल न कर सके और आज तक कोई भी पारस पत्थर को ढूंढ ना पाया । यह भी कहा जाता है की पत्थर को ढूंढने वाले अपना मानसिक संतुलन को देते हैं। 

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