हमारे देश में ऐसी बहुत सी रहस्यमई जगह हैं जो अपने अतीत में बहुत से राज छुपाए हुए हैं। राजस्थान के किले हो, तिरुपति का मंदिर हो, या फिर महाराष्ट्र का शनि शिंगणापुर मंदिर जिसमें शनि देव के मंदिर में छत नहीं है।
महाराष्ट्र। आप जब रात में सोने जाते हैं तो अपने घर के सभी बाहरी दरवाजों को चेक करते हैं कि वह अच्छे से बंद है या नहीं बंद है। ऐसा आप इसलिए करते हैं ताकि कोई चोर डकैत घर के अंदर ना आ जाए। जिस प्रकार से अपराध दर बढ़ रहा है इस तरह का डर लाजमी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज भी हमारे देश में एक ऐसी जगह है जहां के घरों में दरवाजे नहीं है। इस जगह को डोर लेस सिटी भी कहा जाता है। चलिए बताते हैं आपको इसके बारे में तफसील से।
आज तक नहीं हुई चोरी इस गांव में
महाराष्ट्र का एक गांव है शिंगड़ापुर गांव। इस गांव में किसी भी घर में दरवाजा नहीं है बावजूद इसके गांव में कभी चोरी नहीं होती। चोरी न होने के पीछे या अपराध ना होने के पीछे भी लोगों की मान्यता है। दरअसल महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में शिरडी से 65 किलो की दूरी पर एक मंदिर स्थित है जो शनि शिंगणापुर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।। लोगों का मानना है कि शनि देव उनके घरों की रक्षा करते हैं इसलिए उनके घरों में दरवाजे नहीं लगे हुए हैं।
घरों में नहीं हैं दरवाज़े
अपराध दर की बात करें तो आज तक इस गांव में एक भी चोरी नहीं हुई है और सबसे बड़ी बात की गांव में राष्ट्रीयकृत यूको बैंक की जितनी भी शाखाएं हैं उनके दरवाजों पर भी ताले नहीं लगे हैं और बैंक के लॉकर्स में भी ताले नही है। लोगों की मान्यता है कि स्वयं शनिदेव गांव के लोगों की रक्षा करते हैं और अगर कोई चोरी करने की कोशिश भी करता है तो उसे दंड मिलता है।
मंदिर के पीछे की क्या है कहानी
कहां जाता है कि शनि शिंगणापुर मंदिर में शनि देव की मूर्ति खुले आसमान के नीचे है। और इसके पीछे कहानी है कि जब शनि देव की मूर्ति कुछ चरवाहों को मिली। चरवाहों के सपने में शनि देव ने दर्शन दिए और पूजा करने का तरीका बताया। इसके बाद चरवाहे ने शनिदेव से पूछा कि क्या उनके लिए कोई मूर्ति बनानी चाहिए। शनि देव ने कहा मूर्ति तो बननी चाहिए लेकिन छत की कोई जरूरत नहीं है। यही वजह है कि इस मंदिर में छत नहीं है।
महिलाओं को जाने की नहीं थी इजाज़त
साल 2016 के पहले शनि शिंगणापुर मंदिर के गर्भ ग्रह में महिलाओं को जाने की इजाजत नहीं थी। लेकिन 26 जनवरी 2016 को 500 से अधिक महिलाओं ने तिरुपति देसाई के नेतृत्व में मंदिर के अंदर जाने के लिए मार्च किया और 30 मार्च 2016 को यानी की 2 महीने बाद मुंबई हाई कोर्ट ने महिलाओं को इसमें प्रवेश की इजाजत दे दी।
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Last Updated Mar 24, 2024, 7:00 AM IST