वायुसेना के शीर्ष अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए 36 राफेल विमानों के सौदे को कांग्रेस के समय 126 विमानों की खरीद के लिए चल रही वार्ता से 'ज्यादा बेहतर' बताया है। साथ ही अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को 30,000 करोड़ का ऑफसेट ठेका दिए जाने के कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर दिया है। इन अधिकारियों का कहना है कि राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को इस मुद्दे की 'सही जानकारी' नहीं है। 

वायुसेना के वाइस चीफ एयर मार्शल एसबी देव और डेप्यूटी चीफ एयर मार्शल आर नांबियार ने कहा कि वायुसेना एक अच्छा सौदा करने में कामयाब रही है। कीमत, मेंटीनेंस, डिलीवरी के समय और दूसरे मुद्दों के आधार पर यह 2008 में कांग्रेस के समय चल रही वार्ता से बेहतर है। 

जब एयर मार्शल नांबियार से पूछा गया कि फ्रांसीसी मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि भारत सरकार ने 36 विमानों के सौदे में अनिल अंबानी को शामिल करने की पेशकश की थी, इस पर उन्होंने कहा, राफेल को लेकर चल रही कॉमर्शियल वार्ता वायुसेना के डेप्यूटी चीफ के नेतृत्व में की गई। इस पूरी वार्ता के लिए वही जिम्मेदार हैं। ये वार्ता 14 महीने जारी रही। हमारे नेतृत्व द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का हमने पालन किया। इसका अर्थ है, अच्छी कीमत, मेंटीनेंस की बेहतर शर्तें और डिलीवरी की बेहतर समयसीमा। कुल मिलाकर यह 2008 में हो रही वार्ता से बेहतर डील है। 

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वायुसेना के शीर्ष अधिकारियों ने इन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि इस डील से अनिल अंबानी को 30,000 करोड़ रुपये का ठेका मिल रहा है। दोनों अधिकारियों ने कहा कि दसॉल्ट एविएशन पर खुद ऑफसेट की बाध्यता है। यह महज 6,500 करोड़ रुपये की है। 

जब एयर मार्शल नांबियार से पूछा गया कि क्या राहुल गांधी का यह कहना सही है कि मोदी सरकार ने अकेले अनिल अंबानी की कंपनी को 30,000 करोड़ रुपये का ठेका दिया है, तो उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि लोगों को सही जानकारी नहीं है। किसी एक को ही 30,000 करोड़ का ठेका देने जैसा कुछ नहीं है। दसॉल्ट एविएशन को महज 6,500 करोड़ का ऑफसेट देना है। इसके ज्यादा कुछ नहीं है।'

वायुसेना के वाइस चीफ ने कहा कि दसॉल्ट एविएशन जैसी कंपनी के लिए 36 विमानों का सौदा बहुत बड़ा है और अगर वे ऑफसेट की बाध्यता को पूरा नहीं करते हैं तो उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

फ्रांस में राफेल विमान उड़ाने के उनके अनुभव के बारे में पूछने पर एयर मार्शल नांबियार ने कहा, 'मैंने बस राफेल उड़ाया और उन क्षमताओं को परखा जिनसे लैस विमान भारतीय वायुसेना को दिया जा रहा हैं। मेरा मानना है कि यह विमान बहुत अच्छा है और उसकी सभी तीन प्रणालियां अच्छे से काम कर रही हैं।'

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वहीं एयर मार्शल देव ने कहा कि वायुसेना को अपनी लड़ाकू क्षमता बढ़ाने के लिए राफेल विमानों की आवश्यकता है। अगर ये विमान समय पर नहीं आते हैं तो इससे वायुसेना के लिए काफी दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं। वायुसेना की स्क्वॉड्रन क्षमता काफी कम होती जा रही है। वायुसेना के पास कम से कम 42 स्क्वॉड्रन होने चाहिए। लेकिन अभी उसके पास महज 31 ही हैं।