कोटा। राजस्थान का कोटा शहर एजूकेशन के मामले में देश में टॉप पर है। देश भर से लाखों स्टूडेंट हर साल शहर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आते हैं। तमाम बच्चे देश के नामी गिरामी संस्थानों में आगे की पढ़ाई के लिए सेलेक्ट भी होते हैं। पर पिछले 12 महीनों में शहर में 21 से ज्यादा स्टूडेंट्स के सुसाइड के केस सामने आएं। स्थानीय जिला प्रशासन ने इसका संज्ञान लेते हुए कोचिंग इंस्टीट्यूट के टेस्ट पर तुरंत रोक लगा दी थी, अब वही रोक हटाई गई है साथ ही कई शर्तें भी लागू की गई हैं। जिनका कोचिंग इंस्टीट्यूट्स संचालकों का पालन करना होगा। आइए उनके बारे में डिटेल में जानते हैं। 

कोचिंग इंस्टीट्यूट के संचालकों को लागू करनी होंगी ये शर्ते

  • कोचिंग संस्थानों में यदि क्लासेज लगातार चल रही है तो ऐसी स्थिति में टेस्ट या परीक्षा 21 दिनों की अवधि में ली जाएगी। कोर्स पूरा होने की स्थिति में यह अवधि 7 दिन की होगी।
  • टेस्ट या परीक्षा के अगले दिन स्टूडेंट्स को छुट्टी दी जाएगी। जिससे वह रिलैक्स फील कर सके।
  • कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के परीक्षा या टेस्ट में स्टूडेंट खुद की इच्छा से शामिल हो न कि कोचिंग के दबाव में।
  • टेस्ट या परीक्षा के बाद उचित एनालिसिस सेशन की व्यवस्था हो। एवरेज से नीचे मार्क्स पाने वाले स्टूडेंट के लिए स्पेशल सेशन होने चाहिए।
  • परीक्षा या टेस्ट होने के बाद रिजल्ट जारी करने का टाइम 3 दिन बाद होना चाहिए।
  • टेस्ट या परीक्षा का रिजल्ट सार्वजनिक न हो। स्टूडेंट या उनके परिजन तक रिजल्ट भिजवाया जाए। रिजल्ट में रैंक सिस्टम को बंद हो।

पुलिस भी चलाती है बच्चों को मोटिवेट करने का अभियान

आपको बता दें कि मौजूदा समय में कोटा में दूसरे राज्यों के करीबन 3 लाख से ज्यादा स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे हैं। लगातार सुसाइड के मामले बढ़ें तो पुलिस भी एक्शन में आई। पुलिस भी स्टूडेंट को मोटिवेट करने के लिए अलग-अलग इलाकों में अभियान चलाती है। चूंकि स्टूडेंट के सुसाइड की सबसे बड़ी वजह एग्जाम का प्रेशर होता है। इसलिए जिला प्रशासन का प्रयास है कि स्टूडेंट्स पर पढ़ाई का दबाव कम से कम पड़े। इसलिए कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालकों के सामने टेस्ट या एग्जाम शुरु करने से पहले ये शर्तें रखी गई हैं। 

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