सरकार के शीर्ष सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया कि इस योजना पर 30,000 से 40,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का खर्च आएगा।
सभी धर्मों के आर्थिक रूप से गरीब तबके के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के 'मास्टरस्ट्रोक' के बाद मोदी सरकार एक और कदम से विपक्षियों को चौंकाने जा रही है। यह कदम मोदी सरकार के लिए 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले 'ब्रह्मास्त्र' साबित हो सकता है। सरकार देश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले सभी परिवारों के खातों में हर महीने एक निश्चित रकम डालने की तैयारी में है। इसके लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी का इस्तेमाल किया जाएगा।
'माय नेशन' को उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मोदी सरकार गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवारों के खाते में हर महीने डीबीटी के जरिये 2000 रुपये से 2500 रुपये देने की तैयारी में है।
सरकार के शीर्ष सूत्रों ने 'माय नेशन' को यह भी बताया कि इस योजना पर 30,000 से 40,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का खर्च आएगा।
सूत्रों के अनुसार, मोदी सरकार रिजर्व बैंक से पैसों की व्यवस्था करने के लिए लंबे समय से बात कर रही थी, ताकि योजना को समय पर शुरू किया जा सके। इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की कोशिशों के दौरान सरकार और देश के शीर्ष बैंक के बीच कुछ मतभेद भी सामने आए थे लेकिन अब सरकार ने डीबीटी योजना को लागू करने के लिए इसकी राह के सभी अवरोधों को हटा दिया है।
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सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह फैसला सभी धर्मों के गरीबों को लाभ पहुंचाएगा। सरकार की कोशिश 'सबका साथ-सबका विकास' के नारे को पुरजोर ढंग से जनता तक पहुंचाने की है।
इस योजना से देश में गरीबी रेखा से नीचे आने वाले 27 करोड़ लोगों को सीधा लाभ होगा। वर्ष 2011 की जनगणना में बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) की संख्या इतनी ही बताई गई है।
इससे पहले, मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से पिछले लोगों को 10 फीसदी का आरक्षण देने के लिए लोकसभा में 124वां संविधान संशोधन बिल पेश कर दिया। 'माय नेशन' ने 12 सितंबर को ही बता दिया था कि मोदी सरकार आर्थिक रूप से गरीबों को आरक्षण दिए जाने की तैयारी में है।
Last Updated Jan 8, 2019, 6:43 PM IST