नेशनल डेस्क। एलपीजी सिलेंडर भारत के हर घर में एक जरूरत है, हम सभी को लगता है कि ज्यादातर घरों में गैस से जलने वाला चूल्हा तो मौजूद होगा लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। ‌आंकड़ों की मानें तो दुनिया भर में वैश्विक आबादी का लगभग एक तिहाई यानी 2.4 बिलियन लोग अभी भी लकड़ी, गोबर, मिट्टी का तेल, जैसी वस्तुओं से आग जलाकर खाना बनाने पर निर्भर हैं। आंकड़े बताते हैं बिना गैस खाना बनाने से घरेलू वायु प्रदूषण होता है। साल 2020 में इस तरह खाना बनाने से 3.2 मिलियन लोगों ने अपनी जान गंवाई। जिसमें 2,37,000 से ज्यादा मौतें 5 साल से कम उम्र के बच्चों की थीं। 

अतीत में भारत भी इस तरह के परिवेश से गुजर चुका है। ‌जब लोगों के पास गैस नाम की कोई चीज नहीं थी और वह पारंपरिक तरीके यानी लकड़ी कोयला गोबर से आग जलाकर खाना बनाते थे। उन्हें इस बात का भी अंदाजा नहीं था इससे निकलने वाला धुआं उनके शरीर के लिए कितना हानिकारक है। परिणाम स्वरूप भारत में भी कई लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा और अपनी जान गंवानी पड़ी।

 1950 के दशक में भारत में आई एलपीजी

1950 के दशक में भारत धीरे-धीरे बदल रहा था इस दौरान पेट्रोलियम गैस एलपीजी ने भारत में दस्तक दी। हालांकि भारत में दस्तक देने के 60 से अधिक सालों के बाद भी अप्रैल 2014 तक केवल 14.25 करोड़ एलपीजी कनेक्शन दिए गए। यानी अभी तक 44% घर स्वच्छ रसोई गैस से अछूते थे।‌‌ हालांकि 2014 में पीएम मोदी की सरकार आने पर परिस्थितियां बदल गईं और एलपीजी गैस को देश के घरों तक पहुंचाने के लिए सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए।

रक्षाबंधन से पहले सरकार ने जनता को दिया तोहफा

गौरतलब है रक्षाबंधन से एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एलपीजी सिलेंडर उपभोक्ताओं को बड़ा तोहफा दिया है। दरअसल, एलपीजी सिलेंडर के दामों में 200 रुपए की कटौती की गई है। जिसका लाभ आम लाभार्थियों, उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को भी मिलेगा। सरकार इसके लिए 7680 करोड़ रुपए खर्च करेगी।

 

 

उज्ज्वला योजना क्या है?

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत 2016 को हुई थी। जिसके तहत सरकार गरीबी रेखा (BPL) से नीचे आने परिवारों को मुक्त रसोई गैस कनेक्शन मुहैया करती है। उज्ज्वला योजना के तहत अब तक पूरे देश में 9.5 करोड़ से ज्यादा कनेक्शन सरकार बांट चुकी है।‌ योजना की सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में जाती है। 

इस योजना के तहत के लाभार्थियों को 1 साल में कुल‌ 14.2 किलो वाले 12 रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी का लाभ सरकार देगी। वही 18 साल से ज्यादा उम्र की कोई महिला जिसके पास BPL कार्ड या फिर राशन कार्ड है वह इस योजना के लिए आवेदन कर सकती है। हालांकि यहां पर ध्यान यह देना है कि परिवार में किसी के नाम पर एलपीजी कनेक्शन नहीं होना चाहिए। वहीं सरकार 75 लाख उज्जवला कनेक्शन और प्रदान करेगी जिससे इस योजना का लाभ उठाने वालों की संख्या 10.35 करोड़ के आसपास हो जाएगी।

महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रही सरकार

गौरतलब है पिछले 2 सालों से रूस यूक्रेन युद्ध कोरोना समेत चुनौतियों के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर पेट्रोल डीजल और गैस की कीमतों में भारी वृद्धि देखने को मिली है। केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं की जनता पर इस महंगाई का बोझ ना पड़े। मोदी सरकार ने नवंबर 2021 और 2022 मई में दो बार केंद्रीय उत्पाद शुल्क में करनौती की है जिससे पेट्रोल और डीजल के दामों में 13 रुपए और ₹16 प्रति लीटर की कमी आई ‌। भाजपा शासित राज्यों ने भी वेट कम कर दिया ताकि लोगों के कंधों पर अतिरिक्त बोझ ना पड़े। फिलहाल भाई बहन के त्यौहार रक्षाबंधन पर सरकार ने 33 करोड़ गैस कनेक्शन धारकों को बड़ा तोहफा देते हुए एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम घटाने का निर्णय लिया है जो कि वाकई में जनता के कंधों से महंगाई का बोझ कम करने में मददगार साबित होगा। 

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