जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में सुरक्षा बलों पर हुए आतंकी हमले में अल-उमर-मुजाहिदीन का नाम सामने आ रहा है। कश्मीरी न्यूज एजेंसी जीएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, अल उमर मुजाहिदीन नाम के आंतकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। इस आतंकी संगठन का सरगना मुश्ताक अहमद जरगर है। मुश्ताक जरगर उन तीन आतंकियों में शामिल था, जिन्हें साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस के हाईजैक विमान आईसी-814 के अपहृत यात्रियों के बदले भारत ने रिहा किया था। उसके साथ मसूद अजहर और शेख उमर को भी छोड़ा गया था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के बालाकोट में वायुसेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक में जरगर भी निशाने पर था। 

मुश्ताक अहमद जरगर श्रीनगर के नौहट्टा का रहने वाला है। वह 1988 में अशफाक मजीद वानी की सरपरस्ती में आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ में शामिल हुआ। वह पाकिस्तान से आतंकी ट्रेनिंग लेकर 1989 में भारत लौटा। 1990 में सुरक्षा बलों के हाथों अशफाक वानी के खात्मे के बाद जरगर के जेकेएलएफ के कमांडरों से मतभेद उभरने लगे। हामिद शेख और यासीन मलिक से मतभेद भड़ने के बाद जरगर ने 1991 में अपना अलग आतंकी संगठन अल-उमर मुजाहिदीन बना लिया। 

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कश्मीरी पंडितों का हत्यारा

1989 में अशफाक मजीद वानी के नेतृत्व में जेकेएलएफ ने तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिका सईद का अपहरण किया था। इस अपहरण में जरगर भी शामिल था। इन लोगों ने रूबिया की रिहाई के बदले पांच आतंकियों को छोड़ने की मांग की थी। सरकार ने उनकी मांग मानते हुए पांचों आतंकियों को रिहा कर दिया। जरगर को 3 दर्जन से ज्यादा हत्याओं का जिम्मेदार बताया जाता है। इनमें कई कश्मीरी पंडितों के अलावा टॉप के अधिकारी शामिल हैं। 

गिरफ्तारी और रिहाई

सुरक्षा बलों ने 15 मई 1992 को इस दुर्दांत आतंकी को गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन 31 दिसंबर, 1999 को इंडियन एयरलाइंस के हाईजैक विमान आईसी 814 के यात्रियों को छोड़ने के बदले में आतंकियों ने उसकी भी रिहाई करा ली। इसके अलावा भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर और उमर सईद शेख को रिहा किया था। बताया जाता है कि मसूद अजहर और जरगर एक ही जेल में बंद रहे और उसने जैश सरगना से नजदीकियां बढ़ा लीं। इसलिए हाईजैक विमान के बदले जरगर को भी छुड़ाया गया।

रिहा होने के तुरंत बाद जरगर ने मुजफ्फराबाद में अल-उमर मुजाहिदीन की सक्रियता बढ़ा दी। वह भारतीय सीमा से सटे इलाकों में युवाओं को आतंकवाद का प्रशिक्षण देने लगा। बताया जाता है कि साल 2007 से जरगर पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद में बिना किसी रोकटोक के रह रहा है। 

अल-उमर मुजाहिदीन की सक्रियता के पीछे आईएसआई

बताया जाता है कि पिछले कुछ समय से आईएसआई जरगर के आतंकी संगठन अल-उमर मुजाहिदीन को सक्रिय करने में लगी है। वह हिजबुल मुजाहिदीन के अलावा कश्मीर से संचालित होने वाला संगठन है। माना जाता है कि वह पिछले काफी समय से पीछे रहकर मसूद अजहर को मदद कर रहा था। अब जबकि कश्मीर में सुरक्षा बलों के हाथों एक के बाद एक कई टॉप कमांडर ढेर किए जा चुके हैं, आईएसआई जरगर को आगे करना चाहती है।