...ऐसे मिला जियो को इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस का दर्जा

 
Published : Jul 10, 2018, 06:08 PM IST
...ऐसे मिला जियो को इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस का दर्जा

सार

जियो को इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस (आईओई) यानी प्रतिष्ठित संस्थान का दर्जा देने को लेकर चल रहे विवाद के बीच यह ध्यान दिया जाना बहुत जरूरी है कि विश्व के 200 शीर्ष शिक्षण संस्थानों में भारत की कोई भी यूनिवर्सिटी शामिल नहीं है। यही वजह है कि सरकार को भारत में प्रतिष्ठित संस्थानों की स्थापना के विचार को आगे बढ़ाना पड़ा। इस संबंध में विशेषज्ञों की अधिकार प्राप्त समिति को 11 आवेदन मिले थे। इनमें से जियो इंस्टीट्यूट ही एकमात्र संस्थान था, जो चयन के सभी चार मानदंडों पर खरा उतरता था। यही वजह है कि आईओई की स्थापना के लिए लेटर ऑफ इंटेंट (आशयपत्र) जारी करने की सिफारिश की गई।

विवाद से पहले जाने फैसले की प्रक्रिया...

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सितंबर, 2017 में इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस की स्थापना के लिए नोटिस जारी किया था। 

इसके लिए सरकारी और निजी क्षेत्रों से ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड श्रेणी के तहत आईओई के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। 

अधिकारप्राप्त विशेष समिति (ईईसी) ने मान्यता देने के लिए कुछ मानदंड निर्धारित किए थेः  
1. संस्थान के निर्माण के लिए जमीन की उपलब्धता
2. अत्यधिक दक्ष और व्यापक अनुभव वाली कोर टीम का गठन
3. संस्थान की स्थापना के लिए धन की व्यवस्था
4. सालाना लक्ष्य एवं कार्ययोजनाओं को लेकर एक रणनीतिक विजन 

ग्रीनफील्ड श्रेणी के तहत आईओई दर्जे के लिए 11 आवेदन मिले थे। इनमें से जियो ही एकमात्र संस्थान था, जो इन चार पूर्व शर्तों को पूरा करता था।
सरकारी संस्थानों में आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली और आईआईएस बैंगलोर को आईओई का दर्जा दिया गया है। 

जियो के उलट, सरकारी संस्थानों को अलग से 1,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मिलेगी। जियो को स्वायत्तता के अतिरिक्त कुछ नहीं मिलेगा।

निजी ब्राउनफील्ड श्रेणी में बिट्स पिलानी, मणिपाल एकेडमी ऑप हॉयर एजुकेशन को अधिक स्वायत्तता के साथ आईओई का दर्जा दिया गया है। 

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