मौन हुआ लफ़्जों की शोख़ी का रचनाकार....

 |  First Published Jul 20, 2018, 12:14 PM IST

गोपाल दास 'नीरज' हिंदी के उन कवियों में रहे, जिन्होंने मंच पर कविता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। शिक्षा और साहित्य की  सेवा के लिए उन्हें 1991 में पद्मश्री और 2007 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

कई दशकों तक कवि सम्मेलनों का लोकप्रिय नाम और कालजयी गीतों के रचनाकार पद्मभूषण गोपालदास सक्सेना 'नीरज' नहीं रहे। फेफड़ों के संक्रमण की बीमारी के चलते दिल्ली के एम्स अस्पताल में बृहस्पतिवार को उनका निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे। 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा में जन्मे नीरज हिंदी के उन कवियों में रहे, जिन्होंने मंच पर कविता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। शिक्षा और साहित्य की  सेवा के लिए उन्हें 1991 में पद्मश्री और 2007 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1994 में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने उन्हें ‘यश भारती पुरस्कार’प्रदान किया। नीरज को रामधारी सिंह 'दिनकर' हिंदी की वीणा कहते थे। नीरज की  बेटी कुंदनिका शर्मा के अनुसार, उन्होंने अलीगढ़ के मेडिकल कॉलेज को अपनी देहदान कर दी थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा, 'प्रख्यात कवि एवं गीतकार नीरजजी के निधन से दुखी हूं। उनकी विशिष्ट शैली उन्हें सभी वर्ग एवं पीढ़ियों से जोड़ती है। उनकी रचनाएं अविस्मरणीय रत्न हैं। ये अमर रहेंगी। यह भावी पीढ़ी की प्रेरणा स्रोत रहेंगी। मेरी संवेदनाएं।'  

Saddened by the demise of noted poet and lyricist Shri Gopaldas ‘Neeraj.’

Shri Neeraj's unique style connected him with people from all walks of life, across generations. His works are unforgettable gems, which will live on and inspire many. Condolences to his admirers.

— Narendra Modi (@narendramodi)

1942 में एटा से हाईस्कूल परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद इटावा की कचहरी में कुछ समय टाइपिस्ट का काम किया। सिनेमाघर की एक दुकान पर नौकरी भी की। फिर दिल्ली आ गए और सफाई विभाग में टाइपिस्ट की नौकरी की। यहां नौकरी छूटी तो कानपुर के डीएवी कॉलेज में क्लर्क का काम किया। इसके बाद बाल्कट ब्रदर्स नाम की कंपनी में पांच साल तक टाइपिस्ट का काम किया। नौकरी करने के साथ प्राइवेट परीक्षाएं दी और 1949 में इंटरमीडिएट, 1951 में बीए और 1953 में प्रथम श्रेणी से हिंदी साहित्य में एमए किया। 

मेरठ कॉलेज मेरठ में हिंदी के प्रवक्ता के तौर पर पढ़ाया। फिर कुछ विवाद होने पर नौकरी से त्यागपत्र देकर अलीगढ़ पहुंचे और धर्म समाज कॉलेज में हिंदी विभाग के प्राध्यापक नियुक्त हो गए। इसके बाद उन्होंने अलीगढ़ को ही अपना स्थायी आवास बना लिया। 

इसके बाद शुरू हुआ कवि सम्मेलनों में नीरज युग। प्रेम और शृंगार की कविताओं ने  कुछ ही समय में उन्हें काव्य  मंचों का प्रमुख चेहरा बना दिया। लोकप्रियता बढ़ी तो फिल्मों के लिए गीत खिलने का न्यौता मिलने लगा। पहली ही फिल्म में उन्होंने ...कारवां गुजर गया, देखती ही रहो आज दर्पण न तुम, प्यार का यह मुहूर्त निकल जाएगा जैसे लोकप्रिय गीत लिखकर अपनी पहचान बना ली। इसके बाद उनकी कलम से फिल्मों के लिए ऐसे गीत निकले जो हमेशा के लिए सुनने वालों के जेहन में बस गए। फिल्मों में गीत लिखने का सिलसिला मेरा नाम जोकर, शर्मीली और प्रेम पुजारी, कन्यादान जैसे कई चर्चित फिल्मों तक जारी रहा। इसके बाद बंबई से मन विरक्त हुआ तो फिर अलीगढ़ आ गए। उन्हें लगातार तीन बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार प्रदान किया गया। ये थे - 1970 में 'चंदा और बिजली' के लिए 'काल का पहिया, घूमे रे भइया', 1971 में फिल्म 'पहचान' के गाने 'बस यही अपराध हर बार करता हूं, आदमी हूं, आदमी से प्यार करता हूं' और 1972 में 'मेरा नाम जोकर' के गाने 'ऐ भाई, जरा देख के चलो'।

रुमानियत, शृंगार और जीवन दर्शन...। अगर किसी की रचनाओं में ये सबकुछ बड़ी गहराई के साथ मौजूद रहा तो वो नीरज ही थे। 

स्वप्न झरे फूल से,
मीत चुभे शूल से,
लुट गए सिंगार सभी बाग के बबूल से,
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे।
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे!

ऐसी न जाने कितनी कालजयी रचनाएं उनकी कलम से निकलीं। उनकी प्रमुख कृतियों में दर्द दिया है, प्राण गीत, आसावरी, गीत जो गाए नहीं, बादर बरस गयो, दो गीत, नदी किनारे, नीरज की गीतीकाएं, नीरज की पाती, लहर पुकारे, मुक्तकी, गीत-अगीत, विभावरी, संघर्ष, अंतरध्वनी, बादलों से सलाम लेता हूं, कुछ दोहे नीरज के, कारवां गुजर गया शामिल हैं।

फिल्मों में उनके कुछ चुनिंदा गीत...

-शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब - प्रेम पुजारी
-फूलों के रंग से, दिल की कलम से - प्रेम पुजारी
- रंगीला रे! तेरे रंग में - प्रेम पुजारी
-आज मदहोश हुआ जाए रे - शर्मीली
- खिलते हैं गुल यहां - शर्मीली
- मेघा छाए आधी रात - शर्मीली
- ऐ भाई! जरा देख के चलो - मेरा नाम जोकर
- कहता है जोकर सारा जमाना - मेरा नाम जोकर
- आदमी हूं, आदमी से प्यार करता हूं - पहचान
- चूड़ी नहीं ये मेरा दिल है, देखो-देखो टूटे ना -गैंबलर
- दिल आज शायर है - गैंबलर
- लिखे जो खत तुझे - कन्यादान

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गीतकार जावेद अख्तर, प्रसून जोशी समेत कई साहित्य एवं कला व फिल्म से जुड़ी शख्सियतों ने नीरज के निधन पर शोक जताया है। 

युग के महान कवि नीरज के निधन का समाचार अत्यंत ही दुखद है,मैं भाग्यशाली था कि उनका स्नेह और आशीर्वाद मुझे मिला।
कवि होना भाग्य है
नीरज होना सौभाग्य

— Prasoon Joshi (@prasoonjoshi_)

Neeraj ji was a shayar of Hindi and a kavi of urdu . A poet of “Hindustani” who ruled the hearts of millions for almost 7 decades . Neeraj ji we will never forget you .

— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu)

प्रख्यात कवि श्री गोपाल दास ‘नीरज’ जी के निधन पर गहरा दुःख हुआ। नीरज जी ने अपनी काव्य रचनाओं से हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया। उन्हें भावनाओं और अनुभूतियों को व्यक्त करने में दक्षता हासिल थी। हिन्दी फिल्मों के लिए नीरज जी द्वारा लिखे गए गीत आज भी लोकप्रिय हैं।

— Yogi Adityanath (@myogiadityanath)
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