दिल्ली और एनसीआर सहित पूरे उत्तर भारत में प्रदूषित वायु चिंता का कारण बनी हुई है। लेकिन इसके लिए सिर्फ पटाखे और पुआल जलानी ही नहीं और भी कई कारक जिम्मेदार हैं।
अक्टूबर नवंबर में दिल्ली और आस पास की हवा बुरी तरह प्रदूषित हो जाती है। आम तौर पर इसका दोष पटाखों और खेतों में जलने वाले पुआल पर मढ़ दिया जाता है। लेकिन इसकी और भी कई वजहें हैं।
बढ़ते प्रदूषण की एक वजह दिल्ली और आसपास के इलाकों का भूगोल भी है। उत्तर भारत के मैदानी इलाके एक तरफ से हिमालय से घिरे हुए हैं।
यहां हवाओं को जोर पकड़ने के लिए जगह नहीं मिलती जिसके कारण इस इलाके में हवा की गति कम हो जाती है। यही वजह है कि जहरीली हवा को निकलने में दर लगती है।
जबकि दक्षिण भारत में हवा का प्रवाह इसलिए तेज रहता है क्योंकि दोनों तरफ समुद्र होने के कारण इधर की हवा उधर निकल जाती है। जिसकी वजह से हवा में गति रहती है और प्रदूषण का उतना असर नहीं दिखाता।
इसके अलावा उत्तर भारत के ग्रामीण इलाको में इस आधुनिक समय में भी लोग कोयला, लकड़ी और गोबर से बने उपलों से चूल्हों पर खाना बनाते हैं। जिससे भारी मात्रा में प्रदूषण फैलता इससे काफी प्रदूषण फैलता है। क्योंकि इन इलाकों में घनी आबादी बसती है। गंगा बेसिन में तो देश की करीब 40 प्रतिशत आबादी रहती है।
नासा के आंकड़ों के मुताबिक, 2005 से 2014 के बीच दक्षिण एशिया में वाहनों, बिजली संयंत्रों और अन्य उद्योगों से नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन बहुत ज्यादा हुआ। इसमें भी सबसे अधिक बढ़ोत्तरी गंगा के मैदानी इलाकों में देखी गई।
इन्हीं दस सालों में कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों की संख्या भी काफी ज्यादा बढ़ गई। इससे हवा में सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा दोगुनी हो गई।
प्रदूषण की एक वजह थार रेगिस्तान भी है। मार्च से जून के बीच थार रेगिस्तान में गर्म हवाएं चलती हैं। जिसकी वजह से धूल तेज हवाओं के जरिए घनी आबादी तक पहुंच जाती है। जो कि सर्दियों में ओस और कोहरे के साथ घुलकर जानलेवा मिश्रण बना देती है।
इसके अलावा पुआल जलाना तो प्रदूषण का कारण है ही। एक आंकलन के मुताबिक देशभर में करीब 50 करोड़ टन पुआल निकलता है। इसमें से करीब 9 करोड़ टन पुआल खेतों में जला दिया जाता है। यह चलन पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक देखने को मिलता है।
पुआल जलाने का समय अक्टूबर नवंबर का ही होता है। जिसकी वजह से इस समय प्रदूषण बढ़ जाता है।
एक रिसर्च के मुताबिक उत्तरी भारत में फैलने वाले स्मॉग (धुएं और धुंध का मिश्रण) से मानसून पर भी असर पड़ रहा है। इससे तापमान बढ़ जाता है।
तापमान बढ़ने का एक असर यह है कि उत्तर भारत में मानसून से पहले की बारिश ज्यादा होती है और मध्य भारत में सूखा देखने को मिलता है। जो कि किसानों के लिए मुश्किल पैदा करता है।