उज्जैन. धर्म ग्रंथों में 8 चिंरजीवियों के बारे में वर्णन मिलता है यानी 8 अमर महापुरुष। इनमें से अश्वत्थामा (Ashwatthama) भी एक है। महाभारत के अनुसार, अश्वतथामा काल, क्रोध, यम और रुद्र का सम्मिलित अवतार था, इसलिए इन्हें शिवजी का अवतार भी कहते हैं। क्रोधित होकर भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को पृथ्वी पर भटकते रहने का श्राप दिया था। इसलिए ऐसा माना जाता है कि अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं और वे रोज एक खास स्थान पर शिवजी की पूजा करने आते हैं। आगे जानिए कौन-सी है वो जगह और इससे जुड़ी मान्यता… 

यहां दिखाई देते हैं अश्वत्थामा! (Asirgad Ka Kila)
अश्वत्थामा से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। इन्हें कई अलग-अलग स्थानों पर देखे जाने का दावा भी किया जाता है, लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां से अश्वत्थामा का गहरा संबंध है। ये जगह है मध्य प्रदेश के बुरहानपुर (Burhanpur) शहर से 20 किलोमीटर दूर असीरगढ़। यहां पर एक प्राचीन किला है, जहां शिवजी का एक मंदिर भी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि द्रोणपुत्र अश्वत्थामा रोज इस मंदिर में पूजा करने आते हैं। 

रहस्यमयी है ये मंदिर और किला (Mysterious Temples of India)
असीरगढ़ का ये किला और मंदिर दोनों ही रहस्यमयी है। आश्चर्य कि बात है कि पहाड़ की चोटी पर बने किले में स्थित तालाब तपती गरमी में भी कभी सूखता नहीं है। यहीं रोज सुबह अश्वत्थामा स्नान करने के बाद शिवजी की पूजा करते हैं। कहते हैं कि यही स्थान महाभारत का खांडव वन हुआ करता था, जिसे अर्जुन ने जला दिया था। कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति भूल से भी अश्वत्थामा को देख ले तो वह जीवित नहीं बचता।

कैसे पहुंचें असीरगढ़? (How to reach Asirgarh?)
अगर आप भी असीरगढ़ के इस रहस्यमयी किले को देखता चाहते हैं तो आपको सबसे पहले बुरहानपुर आना पड़ेगा। खंडवा से लगभग 80 किमी दूर है। ये शहर रेल और सड़क मार्ग से पूरे देश से जुड़ा हुआ है। यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर है, जो करीब 180 किमी दूर है। बुरहानपुर आकर आप असीरगढ़ किले तक आसानी से पहुंच सकते हैं।


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