पुलवामा हमले के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने अपनी ही पार्टी के नेता नवजोत सिंह सिद्धू को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने ट्विटर पर एक सीरिज चलाई और बाद में बयान भी जारी किया। जिसमें वह सिद्धू को नसीहत देते हुए दिख रहे हैं। 


 दिग्विजय सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू को ताना देते हुए कहा कि उन्हें अपने दोस्त पाकिस्तानी पीएम इमरान खान को समझाना चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे पर सिलसिलेवार ट्वीट जारी किए। 
इसके अलावा उन्होंने एक बयान जारी करके भी ट्विटर पर कही गई अपनी बातें दोहराईं।
"

दिग्गी राजा ने बीजेपी छोड़ कांग्रेस में आए सिद्धू पर भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि आपको दोस्त इमरान खान की वजह से गाली पड़ रही है, अपने दोस्त को समझाएं। 

Scroll to load tweet…

यह भी पढ़िए- जानिए कैसे सिद्धू ने की थी पाकिस्तान की तरफदारी

दिग्विजय सिंह ने इमरान खान को भी चुनौती दे डाली। उन्होंने ट्वीट पर लिखा कि  'पाकिस्तान के श्रीमान प्रधानमंत्री कमऑन! कुछ साहस दिखाइए और हाफिज सईद और मसूद अजहर आतंक के स्वघोषित सरगनाओं को भारत को सौंपिए। आप ऐसा कर न सिर्फ पाकिस्तान को आर्थिक संकट से निकालने में सक्षम होंगे, बल्कि नोबेल शांति पुरस्कार के भी प्रबल दावेदार बन जाएंगे।' 

Scroll to load tweet…

यह भी पढ़िए- सिद्धू पर कुछ इस तरह भड़का था लोगों का गुस्सा

दिग्विजय को अंदाजा था कि उनके इस बयान से सिद्धू मुश्किल में पड़ जाएंगे और उनकी आलोचना की जाएगी। इसलिए उन्होंने यह अंदेशा जाहिर करते हुए फिर से ट्विट किया। 
जिसमें वह लिखते हैं कि 'मुझे पता है कि मोदी भक्त ट्रोल करेंगे, लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं है। इमरान खान को एक क्रिकेटर के तौर पर मैं पसंद करता हूं, लेकिन मुस्लिम कट्टरपंथियों और आईएसआई समर्थित गुटों का समर्थन कर रहे हैं। मैं इस पर यकीन नहीं कर पा रहा हूं।' 

Scroll to load tweet…

यह भी पढ़िए- कुछ इस तरह सिद्धू को चुकानी पड़ी पाकिस्तान प्रेम की कीमत

सिद्धू को दिग्विजय की नसीहत से कांग्रेस पार्टी के लिए जवाब देना मुश्किल हो सकता है। क्योंकि कांग्रेस कभी नहीं चाहेगी कि उसके दो वरिष्ठ नेताओं के बीच किसी मुद्दे पर आपस में मतभेद गहराएं। 
दरअसल पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान पर दिए बयान के कारण सिद्धू की काफी आलोचना भी हो रही है और उनकी टीवी शो से भी चैनल ने छुट्टी कर दी है। शायद इसीलिए दिग्गी राजा को सिद्धू को नसीहत देने की जरुरत पड़ी।  

यह भी पढ़िए- शहीद को श्रद्धांजलि देने में सिद्धू ने की थी लापरवाही