अफ़ग़ानिस्तान के सामान की पहले खेप तुर्की पहुंच गई। यह हुआ साल 2018 के आखिरी दिन यानी 31 दिसंबर को नए बनकर तैयार हुए लापीस लाजुली ट्रेड कॉरिडोर के ज़रिए। 

इस खेप में 175 टन सामान था। जिसमें तरबूज़ के बीज, कपास, किशमिश और तिल थे। इसे अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने 13 दिसंबर को कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद रवाना किया था। 

लापीस लाजुली एक अंतरराष्ट्रीय ट्रेड कॉरिडोर है, जो अफ़ग़ानिस्तान को तुर्कमेनिस्तान, अज़रबैजान, जॉर्जिया होते हुए तुर्की से जोड़ता है। 

यह लापीस लाजुली ट्रेड कॉरिडोर रेल और समुद्री मार्गों के ज़रिए पांच देशों के लिए यूरोप का रास्ता खोलता है।  यह कैस्पियन सागर और काला सागर से भी जुड़ा हुआ है।

अफ़ग़ानिस्तान के उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि लापीस लाजुली ट्रेड कॉरिडोर सुरक्षित और सस्ता है, जो पाकिस्तान के कराची बंदरगाह से गुज़रने वाले रास्ते से भी छोटा है। 

लापीस लाजुली कॉरिडोर पर सभी देशों की सहमति तीन सालों की वार्ता के बाद 2017 में बनी थी। इसका नाम क़ीमती पत्थर लापीस लाजुली के नाम पर पड़ा है, जिसे अफ़ग़ानिस्तान से यूरोप भेजा जाता था। 

अफ़ग़ानिस्तान एक ‘लैंड लॉक’ देश है यानी इसकी सीमाएं समुद्र से नहीं लगती हैं। जिसकी वजह से इसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए पाकिस्तान पर निर्भर रहना पड़ता था। 

पाकिस्तान अक्सर अफगानिस्तान पर दबाव बनाने के लिए सीमाएं बंद कर देता था। जिसकी वजह से अफगानिस्तान में जरुरी चीजों की किल्लत हो जाती थी। 

लेकिन अब अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर अपनी निर्भरता से छुटकारा पा लिया है। 
एक साल में एक नए वायु मार्ग का भी विकास किया गया है, जो अफ़ग़ानिस्तान को भारत, तुर्की, कज़ाख़स्तान, यूएई, सऊदी अरब, रूस, चीन और नीदरलैंड्स से जोड़ता है। 

लापीस लाजुली का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने कहा था, "हमारे पड़ोसी हमें अक्सर धमकाया करते थे कि अगर वो ट्रेड रूट को बंद कर देंगे तो हम भूखे मर जाएंगे। अब अफ़ग़ानिस्तान के पास व्यापार के कई रास्ते मौजूद हैं। "

अफ़ग़ानिस्तान के लोग लापीस लाजुली ट्रेड कॉरिडोर के चालू हो जाने से बेहद ख़ुश हैं। उन्हें उम्मीद है कि यह उनके देश की तरक्की के नए रास्ते खोलेगा।