पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव होने जा रहा है और राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। राजनीतिक दलों के उम्मीदवार और नेता मतदाताओं को रिझाने के लिए सारे दाव-पेंच आजमा रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान के मतदाता चुप हैं और उनमें चुनाव को लेकर ज्यादा उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है। मतदाताओं की चुप्पी उनकी सुरक्षा को लेकर है।

इस बार के चुनाव में पाकिस्तान में कुल 342 सीटों के लिए मतदान होगा। इसमें से 272 सीटों पर सीधे चुनाव होंगे, जबकि 70 सीटें आरक्षित हैं। इस बार के चुनाव में मुख्य लड़ाई नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज, इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और बेनजीर भुट्टों के पुत्र बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी के बीच है।

पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने सभी पार्टीयों को नियमों का पालन करने को कहा है। साथ ही आयोग ने कहा है कि प्रचार सोमवार मध्यरात्रि तक खत्म हो जाना चाहिए। 

चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को राजनीतिक विज्ञापनों के प्रसारण और प्रकाशन से परहेज करने को कहा है। नियमों का उल्लंघन करने वालों को दो साल तक की जेल की सजा या एक लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है।

पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों में हिंदू, सिख, ईसाई और अहमदी मुसलमान शामिल हैं। पाक की कुल 20 करोड़ की आबादी में ये अल्पसंख्यक महज चार फीसदी हैं जबकि 15-20 फीसदी लोग शिया समुदाय के हैं। इनमें से महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदाय को सिर्फ आरक्षित सीटों पर टिकट दिया गया है। जबकि यहां भी ऐसे उम्मीदवारों को उतारा गया है जो किसी मुस्लिम के यहां काम करते हैं अथवा उन पर मुस्लिम पकड़ काफी अधिक है।