भारत द्वारा 5.4 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर करने के बाद ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि इस संदर्भ में अमेरिकी संसद द्वारा मंजूर और राष्ट्रपति की तरफ से दी गई रियायत बेहद सीमित है। इसका मकसद देशों को रूसी उपकरणों के जंजाल से मुक्त कराना है। 

व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को बताया, ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (काटसा) या सीएएटीएसए में राष्ट्रपति की तरफ से मिलने वाली रियायत बेहद सीमित है और इसका मकसद देशों को रूसी उपकरणों से मुक्त कराना और पूर्व में खरीदे गए उपकरणों के कलपुर्जों जैसी चीजों के लिए इजाजत देता है।’ 

यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए रूस से करार किया है। एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली भारतीय प्रतिरक्षा को दुश्मनों की तरफ से किए गए किसी भी मिसाइल हमले की दशा में उन्हें नाकाम करने के लिए दक्ष करता है।

यूएस इंडिया स्ट्रेटजिक एंड पार्टनरशिप फोरम के अध्यक्ष मुकेश आघी ने बताया, ‘भारत बेहद अशांत और परमाणु शक्ति संपन्न क्षेत्र में है। एस-400 उसे भरोसा देता है और यह उसके मौजूदा प्लेटफॉर्म के साथ सामंजस्य में भी है। दोस्त जानते हैं कि यह चर्चा रूस के साथ कई वर्ष पहले शुरू हुई थी और इसलिये मैं नहीं मानता कि अमेरिका कोई प्रतिबंध भारत पर लगाएगा।’ 

राष्ट्रपति की तरफ से छूट के लिए, सीएएटीएसए प्रतिबंध एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली जैसी अहम खरीद पर लागू होता है। इस करार से पहले अमेरिका ने भारत से एस-400 मिसाइल न खरीदने का अनुरोध किया था। शुक्रवार को उसने एक बार फिर यह बात दोहराई थी।