वॉशिंगटन— पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री कादरी के इस्लामाबाद में एक सभा में लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख सईद के साथ मंच साझा करने के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा, ‘‘मैं स्वदेश जाऊंगा और निश्चित तौर पर उनसे पूछूंगा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। हालांकि मुझे बताया गया कि वह कश्मीर में स्थिति का उल्लेख करने को लेकर एक कार्यक्रम था।’’ 

कुरैशी ने अमेरिकी कांग्रेस द्वारा मुहैया कराए जाने वाले धन से चलने वाले शीर्ष थिंक टैंक यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस में कहा, ‘‘इसका लश्कर-ए-तैयबा से कुछ लेना देना नहीं था। वहां अन्य राजनीतिक तत्व थे। वह उनमें से एक था।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उन्हें (कादरी) अधिक संवेदनशील होना चाहिए था लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि वह उसके (सईद) विचार से इत्तेफाक रखते हैं।’’ 

कादरी इस्लामाबाद में रविवार को दिफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल द्वारा आयोजित सर्वदलीय सम्मेलन में सईद के समीप बैठे दिखाई दिए। 

सम्मेलन की पृष्ठभूमि में एक बैनर में ‘‘पाकिस्तान की रक्षा’’ लिखा था और उसमें ‘‘भारत के खतरों’’ के साथ-साथ ‘‘कश्मीर’’ का जिक्र था। दिफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल 40 से अधिक पाकिस्तानी रजानीतिक दलों और धार्मिक दलों का गठबंधन है जो रूढ़िवादी नीतियों की पैरवी करता है। 

कादरी की सईद के साथ उस कार्यक्रम में मौजूदगी भारत के इस रुख की पुष्टि करता है कि अगस्त में प्रधानमंत्री इमरान खान के पदभार ग्रहण करने के बाद भी आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है।

कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में गंभीर है। उन्होंने कहा, ‘‘हम आतंकवाद के आगे घुटने नहीं टेक सकते। हमें उनका मुकाबला करना होगा और इलाकों से खदेड़ना होगा। हमने सफलतापूर्वक यह किया है। यह काम प्रगति पर है, हमें इसे जारी रखना होगा लेकिन काफी हद तक चीजें बदली हैं।’’