पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र पीसा की झुकी हुई मीनार को सीधा रखने का प्रयास लंबे समय से किया जा रहा है। इंजीनियरिंग के बेजोड़ कार्य के बाद अब यह कुछ हद तक सीधी भी हुई है। इंजीनियरों के वर्षों तक चले महत्वाकांक्षी काम के बाद यह ऐतिहासिक इमारत कम झुक रही है। हर साल यहां आने वाले लाखों पर्यटकों के लिए 56 मीटर का यह टावर अब भी दर्शनीय स्थल है।

सन् 1173 में जब इस मीनार का निर्माण शुरू किया गया था तभी यह एक तरफ झुक गई। इस मीनार को सुरक्षा कारणों से 11 साल के लिए 1990 में आम जनता के लिए बंद कर दिया गया था क्योंकि यह लंबवत रूप से 15 फुट तक झुक गई थी जिससे इसके मलबे के ढेर में तब्दील होने का खतरा पैदा हो गया था।

पीसा की इमारत की देखभाल करने वाली ओपीए के तकनीकी निदेशक सेला ने कहा, ‘हमने जिस तरफ से मीनार झुक रही है वहां कई भूमिगत ट्यूब लगाई। हमने सावधानीपूर्वक खुदाई करके मिट्टी हटाई। इस प्रणाली का शुक्रिया, हमने आधे डिग्री तक झुकाव कम कर लिया।’

पीसा विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग लेक्चरर नुनजियांते स्क्वेग्लिया पिछले 25 वर्षों से टावर का अध्ययन कर रहे हैं और उसका माप ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि साल 2001 तक मीनार को 41 सेंटीमीटर तक सीधा किया गया और उसके बाद अन्य चार सेंटीमीटर तक सीधा किया गया। इस बीच, सेला ने भविष्यवाणी की कि यह टावर ‘कभी भी पूरी तरह सीधा नहीं होगा।’ 

करीब 200 साल के दौरान 3 अलग-अलग चरणों में बनाई गई यह मीनार बनने की शुरुआत से ही झुकना शुरु हो गई थी। यह मीनार करीब 5 डिग्री के एंगल पर झुकी हुई है। इसके अलावा इस क्षेत्र में सन 1280 से लेकर अब तक 4 बड़े भूकंप भी आ चुके हैं। फिर भी यह मीनार आखिर कैसे सलामत है। इस रहस्य को समझने के लिए यूं तो वैज्ञानिक काफी सालों से जुटे हुए हैं, लेकिन उन्‍हें इसका जवाब नहीं मिला। कुछ महीने पहले ब्रिटेन की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के 16 वैज्ञानिकों के दल ने इस मीनार को लेकर लंबी रिसर्च की, जिसका नतीजा काफी चौंकाने वाला था।

इस झुकी हुई मीनार को भूकंप के दौरान बचाए रखने में इस टावर के नीचे की खास मुलायम मिट्टी सबसे बड़ा योगदान है। इस टावर की लंबी उचाई, उसका कड़ापन और उसके नींव की मुलायम मिट्टी मिलकर एक ऐसी स्थिति का निर्माण करते हैं, जिससे भूकंप के दौरान भी इस मीनार में कंपन नहीं होता।

यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के प्रोफेसर जॉर्ज माईलोनाकिस बताते हैं कि आधारभूत तौर पर तो ऐसी मुलायम मिट्टी किसी भी बिल्डिंग या मीनार को बहुत आसानी से मलबे में तब्दील कर सकती है, लेकिन यही मिट्टी यहां पर इस टॉवर को भूकंपों के दौरान जमीन के कंपन से बचाती है। तभी तो इस मीनार पर किसी तरह के भूकंप का कोई असर आज तक नहीं हुआ, क्योंकि उस दौरान जमीन में होने वाला सारा कंपन तो टावर के नीचे की मुलायम मिट्टी खुद ही बर्दाश्त कर लेती है।