नई दिल्ली- खालिदा जिया के पति और देश के दिवंगत राष्ट्रपति जियाउर रहमान के नाम पर स्थापित एक चैरिटेबल ट्रस्ट के धन का गबन करने के मामले में यह सजा हुई है। ढाका के नजीमुद्दीन रोड इलाके में स्थित पूर्व केंद्रीय कारागार में बनायी गई अस्थायी कोर्ट परिसर में जज ने यह फैसला सुनाया। जेल कर्मचारियों द्वारा लगातार जिया को अदालत में पेश ना करा पाने की स्थिति में ही जेल में अस्थाई कोर्ट लगाया गया था। बांग्लादेश के भ्रष्टाचार निरोधक आयोग ने जिया चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़े भ्रष्टाचार का मामला 2011 में दायर किया था।


बता दें कि, बांग्लादेशी सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को मामले में अपना फैसला देने के लिए रास्ता साफ कर दिया था। न्यायालय ने जिया की अपील को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने अपनी गैर मौजूदगी में फैसले की सुनवाई पर रोक लगाने की अपील की थी। 

खालीदा जिया और उनके राजनीतिक सचिव जियाउल इस्लाम मुन्ना, असिस्टेंट प्राइवेट सेक्रेटरी हैरिस और ढाका सिटी के मेयर के खिलाफ 2011 में मामला दर्ज किया गया था। आरोप था कि पूर्व प्रधानमंत्री और तीन अन्य ने शक्तियों का दुरुपयोग करके ट्रस्ट के लिए अज्ञात स्रोतों से धन इकट्ठा किया।

खालिदा जिया पहले ही एक अनाथालय के धन के गबन से जुड़े एक दूसरे मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद जेल की सजा काट रही हैं। 

जिया की पार्टी बीएनपी ने कहा कि दोनों मामले राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं।

2004 के ग्रेनेड हमले के मामले में खालिदा जिया के भगोड़े बेटे तारिक रहमान को हाल ही में बांग्लादेश की एक अदालत ने उम्रकैद और 19 अन्य को फांसी की सजा सुनाई थी।  हमले में 24 लोग मारे गए थे और उस समय विपक्षी पार्टी की प्रमुख रहीं शेख हसीना समेत सैकड़ों लोग घायल हो गए थे।