पुलवामा हमले को लेकर हो रही चौतरफा कर रहे दबाव से बचने के लिए पाकिस्‍तान ने फिर से दिखावे का चोला पहनने की कोशिश की। दुनिया भर में आतंकी को दिए जा रहे पैसे को रोकने के लिए काम करने वाली संस्था फाइनेंशल एक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) की अहम बैठक से पहले पाकिस्तान ने मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) पर प्रतिबंध लगा दिया है। जेयूडी की चैरिटी शाखा फलह-ए-इंसानियत पर भी पाबंदी लगाई गई। लेकिन पाकिस्तान का यह दिखावा भी उसके काम न सका। 

एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अपनी 'ग्रे लिस्ट' में बरकरार रखा है। यह फैसला अक्टूबर 2019 तक जारी रहेगा। यदि इस दौरान पाकिस्तान अपने रवैये में बदलाव करता है तो उसे हटाने पर विचार किया जा सकता है। एफएटीएफ की सालाना बैठक में यह फैसला लिया गया।

एफएटीएफ की ओर से कहा गया है कि पाकिस्तान अल कायदा, जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तय्यबा, जैश-ए-मोहम्मद और तालिबान से जुड़े लोगों से होने वाले खतरे को सही तरीके से नहीं समझ रहा है। पाकिस्तान को मई 2019 तक एफएटीएफ के एक्शन प्लान पर काम करना होगा। 
 

पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के हमले के बाद भारत ने इस बात पर जोर दिया था कि उसे इस लिस्ट से हटाया न जाए। यही नहीं भारत ने पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डालने की मांग की थी। हालांकि अभी पाकिस्तान को अक्टूबर तक ग्रे लिस्ट में ही रखा गया है। एफएटीएफ ने साफ किया है कि अगर अक्टूबर, 2019 तक पाकिस्तान उसकी 27 मांगों पर काम नहीं करता है तो उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। भारत ने इस बात पर जोर देकर कहा कि पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को फाइनेंस करने की जानकारी साझा की जानी चाहिए। वहीं पाकिस्तानी अधिकारियों ने पूरा जोर लगाया कि उनके देश को ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया जाए। 

एफएटीएफ पेरिस स्थित अंतर-सरकारी संस्था है। इसका काम गैर-कानून आर्थिक मदद को रोकने के लिए नियम बनाना है। इसका गठन 1989 में किया गया था। एफएटीएफ की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने वाले देश को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है। आतंकवादी संगठनों को फाइनेंस पर लगाम न कसने वाले लोगों को इस लिस्ट में डाला जाता है।