अमेरिकी राष्ट्रपति बोले, पाकिस्तान को कोई सहायता नहीं दूंगा क्योंकि उसने हमारे लिए कुछ नहीं किया। पाकिस्तान में आतंकी पनाहगाह पहले की तरह हैं।
कंगाली की कगार पर खड़े पाकिस्तान को एक और झटका लगा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान अपने यहां मौजूद आतंकी पनाहगाहों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता, उसे मिलने वाली 1.3 अरब डॉलर यानी 12,000 करोड़ रुपये की सहायता राशि रुकी रहेगी।
राष्ट्रपति ट्रंप ने एक दिन पहले ही कहा था कि पाकिस्तान अमेरिका के लिए कुछ नहीं कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान की सरकार ने ऐबटाबाद के पास अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन की छुपने में मदद की थी।
थैंक्सगिविंग की छुट्टियों के लिए फ्लोरिडा स्थित अपने निजी रिसॉर्ट मार-ए-लागो रवाना होने से पहले व्हाइट हाउस में ट्रंप ने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि पाकिस्तान हमारी मदद करे। हम पाकिस्तान को 1.3 अरब डॉलर की राशि नहीं दे रहे हैं। हम उन्हें कुछ नहीं देंगे क्योंकि उन्होंने भी हमारी मदद करने के लिए यही किया है। कुछ भी नहीं।’
पिछले कुछ दिन में ट्रंप ने पाकिस्तान पर बार-बार आरोप लगाया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका की मदद नहीं कर रहा है। इससे पहले, फॉक्स न्यूज को दिए गए साक्षात्कार में ट्रंप ने कहा था कि पाकिस्तान के लोगों को पता था कि ओसामा बिन-लादेन ऐबटाबाद की हवेली में रह रहा है, लेकिन उन्होंने अमेरिका को नहीं बताया और अरबों डॉलर की सहायता राशि लेते रहे।
ट्रंप ने कहा, ‘और मैंने ऐसा भुगतान करना बहुत पहले बंद कर दिया है। हम पाकिस्तान को कोई धन नहीं दे रहे हैं क्योंकि वह हमारी कोई मदद नहीं कर रहा है और हम देखेंगे कि यह किस रास्ते जाता है।’
पाकिस्तान के लिए दोहरा झटका
इस बीच, ऐसी खबरें हैं कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पाकिस्तान द्वारा चीन के साथ किए गए वित्तीय समझौते की जानकारी मांगी है। नकदी के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने वित्तीय मदद के लिए चीन के साथ यह समझौता किया है। आईएमएफ का एक मिशन पाकिस्तान में है और अधिकारियों के साथ बैठकें कर रहा है। ताकि पाकिस्तान का भुगतान संतुलन बनाए रखने में मदद के लिए एक अलग तरह के कोष का प्रबंध किया जा सके।
आईएमएफ ने पाकिस्तान को राहत पैकेज देने के लिए कुछ कड़ी शर्तें रखी हैं। यह राहत पैकेज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को फिर से रास्ते पर लाने के लिए अनिवार्य है। इनमें 150 अरब रुपये के और कर लगाने, रुपये का अवमूल्यन करने और कड़ी मौद्रिक नीति अपनाने जैसी शर्तें शामिल हैं। आईएमएफ ने पाकिस्तान के चीन के साथ वित्तीय सहयोग समझौते की भी पूरी जानकारी मांगी है।
आईएमएफ के मिशन का नेतृत्व हेराल्ड फिंगर कर रहे हैं। आईएमएफ का प्रतिनिधिमंडल सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है ताकि सुधार पर उनके दृष्टिकोण को समझ सके। डॉन अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हालांकि इस बात के कोई संकेत नहीं है कि दोनों पक्ष किसी समझौते के करीब हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सोमवार को वित्त मंत्री असद उमर ने कहा कि बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है लेकिन अभी भी कई मतभेद हैं।
Last Updated Nov 21, 2018, 4:51 PM IST