गोवा में भाजपा को पहले भी राजनीतिक संकट से उबारने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को इस बार भी यह काम सौंपा गया था। वह जनता के सीएम कहे जाने वाले पर्रिकर के निधन के तुरंत बाद गोवा रवाना हो गए थे।
गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद राज्य में भाजपा सरकार पर आए संकट के बादल छंटते दिख रहे हैं। गोवा भाजपा के अध्यक्ष विनय तेंदुलकर राज्य के अगले मुख्यमंत्री हो सकते हैं। उनके नाम पर लगभग सहमति बन गई है। 'माय नेशन' के पास 17 और 18 मार्च की रात के घटनाक्रम का पूरा ब्यौरा उपलब्ध है। मौजूद जानकारी के मुताबिक, पर्रिकर के निधन के बाद पार्टी विधायकों की लंबी बैठक हुई और सहयोगी दलों से भी राय ली गई।
गोवा में भाजपा को पहले भी राजनीतिक संकट से उबारने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को इस बार भी यह काम सौंपा गया था। वह जनता के सीएम कहे जाने वाले पर्रिकर के निधन के तुरंत बाद गोवा रवाना हो गए थे। पर्रिकर के करीबी मित्र गडकरी उनके परिवार के पास संकट की इस घड़ी में पहुंचने वाले पहले केंद्रीय मंत्री हैं। उन्होंने वहां पहुंचकर सबसे पहले सोमवार को होने वाले अंतिम संस्कार की तैयारियां पर बात की।
गडकरी के पास दुख की इस घड़ी में काफी कम समय था। उन्हें राज्य में सरकार पर गहरा रहे संकट को दूर करने के लिए तत्काल कुछ व्यवस्था करनी थी। राज्य में भाजपा के पास 12 विधायक हैं। उसे तीन निर्दलीयों के अलावा गोवा फॉरवर्ड पार्टी के तीन और महाराष्ट्र गोमंतक पार्टी (एमजीपी) के तीन विधायकों का समर्थन हासिल है। खास बात यह है कि भाजपा की सरकार में शामिल दलों ने पर्रिकर के नाम पर ही समर्थन दिया था। यही वजह थी कि रक्षा मंत्री रहे पर्रिकर को केंद्र से फिर गोवा का नेतृत्व करने के लिए भेजा गया। पर्रिकर के निधन के बाद यह आशंका गहरा रही थी कि सरकार में शामिल दल भाजपा का साथ छोड़ सकते हैं। मौका भांपते हुए कांग्रेस ने पर्रिकर के निधन के दो घंटे बाद ही राज्य में सरकार बनाने का दावा कर दिया।
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है, नौ विधायकों और गडकरी के बीच के एक लंबी बैठक हुई। देर रात तीन बजे शुरू हुई यह बैठक काफी देर तक चली। केंद्रीय नेतृत्व प्रमोद सावंत को राज्य का अगला सीएम बनाने का पक्षधर है। इसी प्रस्ताव के साथ गडकरी ने सहयोगी दलों और अन्य विधायकों के साथ बैठक की। सावंत इस समय गोवा विधानसभा के स्पीकर हैं। लेकिन विजय सरदेसाई के नेतृत्व वाले नौ विधायकों ने सावंत के नाम पर असहमति जताई। सावंत संघ के करीबी माने जाते हैं। लेकिन सहयोगियों ने इसी वजह से उनका नाम खारिज कर दिया। सावंत गोवा के एकमात्र भाजपा विधायक हैं, जो संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं। पिछले साल अक्टूबर में वह सरसंघ चालक मोहन भागवत से भी मिले थे। उनकी भाजपा नेता रामलाल से भी करीबी बताई जाती है।
इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि उनके नाम को भाजपा को समर्थन दे रहे नौ विधायकों ने खारिज कर दिया। इन लोगों का कहना था कि सावंत के विचार गोवा की संस्कृति से मेल नहीं खाते। वह राज्य में बीफ पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी कर चुके हैं। वह गोवा में शराब के विरोध को लेकर भी मुखर रहे हैं। यही चीजें उनके खिलाफ गईं।
सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद विधायकों ने गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य के भाजवा प्रमुख विनय तेंदुलकर का नाम सुझाया। विनय तेंदुलकर इस समय राज्यसभा सदस्य हैं और पूर्व में गोवा में मंत्री के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं। वह विवादों से भी काफी दूर रहे हैं। उनके पास प्रशासनिक कौशल भी है। भाजपा को संदेह है कि प्रशासन पर पकड़ न होने से राज्य में भ्रष्टाचार को रोकने में दिक्कत होगी। सुबह 5.30 बजे तक हुई बैठक के बाद विनय तेंदुलकर को केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिल गई। हालांकि गडकरी को इसके लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।