चंद्रयान के साथ गए ऑर्बिटर से जुड़ी अच्छी खबर है। अब इसका जीवन काल एक साल ज्यादा होगा। पहले इसकी जीवन अवधि मात्र एक वर्ष मानी जा रही थी। लेकिन अब अनुमान लगाया जा रहा है कि यह दो वर्षों तक चंद्रमा का चक्कर लगा पाएगा।
नई दिल्ली: 22 जुलाई को रवाना हुआ भारत का चंद्रयान 2 अभी चांद पर पहुंचा नहीं है। लेकिन इसके लांच के बाद भारत के लिए एक अच्छी खबर आ गई है। वह ये है कि इसरो के चंद्रयान-2 मिशन के ऑर्बिटर का जीवनकाल दो साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। जबकि इसके पहले अनुमान था कि ऑर्बिटर का जीवनकाल मात्र एक साल है। यानी अब ऑर्बिटर दो साल तक धरती पर सूचना भेज पाएगा।
यह अनुमान ऑर्बिटर में ईंधन की उपलब्धता के आधार पर लगाया गया है। दरअसल लांचिंग के समय ऑर्बिटर में 1697 किलोग्राम ईंधन था। 24 तथा 26 जुलाई को दो बार स्थिति में बदलाव के लिए 130 किलोग्राम अतिरिक्त ईंधन भरा गया था।
लेकिन शनिवार को सूचना मिली कि ऑर्बिटर में 1500 किलोग्राम से ज्यादा ईंधन बचा हुआ था। क्योंकि इसकी लांचिंग इतनी अच्छी तरह की गई थी कि इसमें 40 किलोग्राम अतिरिक्त ईंधन की बचत हुई है। जिसकी वजह से दावा किया जा रहा है कि इस ईंधन के जरिए चंद्रयान एक साल और चंद्रमा का चक्कर लगा पाएगा।
वैज्ञानिकों ने जानकारी दी है कि शुरुआत में बनाई गई योजना के मुताबिक ऑर्बिटर में अतिरिक्त ईंधन आपातकालीन स्थितियों के लिए दिया गया था। लेकिन अब इसी अतिरिक्त ईंधन की वजह से ऑर्बिटर का जीवन काल बढ़ गया है।
इसके के निदेशक के. सिवन ने जानकारी दी है कि ऑर्बिटर का स्थान परिवर्तन नौ बार किया जाएगा जिसमें ऑर्बिटर के ईंधन की खपत होगी। इस्तेमाल किया जाएगा। कक्षा में सारे बदलाव के बाद आखिर में ऑर्बिटर के पास 290.2 किलोग्राम ईंधन होना चाहिए, जिससे कि वह चंद्रमा के चक्कर लगा सके।
इसी ईंधन की गणना के आधार पर इसरो वैज्ञानिक बता रहे हैं कि ऑर्बिटर में अभी इतना ईंधन है कि चंद्रमा की कक्षा में दो साल तक चक्कर लगाया जा सकता है।'
चंद्रयान की लागत 950 करोड़ है। इसका मुख्य काम ऑर्बिटर के जरिए सूचनाएं एकत्रित करना है। पहले अनुमान था कि 950 करोड़ में यह एक साल तक सूचनाएं भेजेगा। लेकिन अब यह उसी खर्च में दोगुने समय तक सूचनाएं भेज पाएगा। यानी इसरो के मिशन चंद्रयान 2 का खर्च अब आधा हो गया।