अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल द्वारा प्रशांत भूषण के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को नोटिस जारी कर दिया है। यह अवमानना याचिका अटॉर्नी जनरल और केंद्र सरकार ने दायर की थी।
सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव के मामले में एनजीओ संचालक और वकी प्रशांत भूषण भूषण ने सुप्रीम कोर्ट का नोटिस स्वीकार कर लिया है। उन्होंने जवाब दाखिल करने के लिए 3 सप्ताह की मोहलत मांगी।
सर्वोच्च न्यायालय ने प्रशांत भूषण को समय दे दिया है। तीन हफ्ते बाद इस मामले में अगली सुनवाई होगी।
सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव की नियुक्ति को लेकर गैर सरकारी संगठन के कार्यकर्ता और पेशे से वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट करके कथित रूप से कहा था कि ‘ऐसा लगता है कि सरकार ने शीर्ष अदालत को गुमराह किया और शायद, प्रधान मंत्री की अगुवाई वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक का मनगढ़ंत विवरण पेश किया’।
अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि भूषण ने जान बूझकर उनकी सत्यनिष्ठा और ईमानदारी पर संदेह प्रकट किया। अटॉर्नी जनरल ने एक फरवरी को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक का ब्योरा सील बंद लिफाफे में दिया था।
चयन समिति में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रधान न्यायधीश तरुण गोगोई शामिल थे। इस चयन समिति बैठक की रिपोर्ट मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएस अधिकारी नागेश्वर राव को सीबीआई के अंतरिम निदेशक पद पर नियुक्ति किया था।
अवमानना याचिका के मुताबिक बैठक में मुख्य न्यायाधीश के शामिल होने के बाद भी प्रशांत भूषण ने जानबूझकर यह टिप्पणी की।