नेताओं की संपत्ति में बढ़ोत्तरी पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाया सवाल

नेताओं की संपत्ति में हो रही लगातार बढ़ोतरी को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि दो चुनाव के बीच बेहिसाब संपत्ति अर्जित करने वाले उम्मीदवारों पर नजर रखने के लिए कोई स्थाई तंत्र क्यों नहीं है? 

Supreme court raised question on Increasing property of Political Leaders

नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से दो हफ्ते में हलफनामे के जरिये जवाब देने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने कानून मंत्रालय से भी इस मामले में जवाब देने को कहा है। 

इससे पहले पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता एस एन शुक्ला की अर्जी पर फैसला देते हुए कहा था कि अगर चुनाव लड़ना है तो उम्मीदवारों को एक-एक पाई का हिसाब देना होगा कि रकम कहां से कमाई। 

अभी उम्मीदवारों को हलफनामे में अपनी पत्नी और आश्रितों की चल और अचल संपत्ति का ब्यौरा देना पड़ता है पर वो संपत्ति कैसे कमाई है, इसका सोर्स नहीं बताना पड़ता था। लेकिन अब सभी उम्मीदवारों को अपनी आय के साथ-साथ ये भी बताना होगा कि उन्होंने ये दौलत कैसे हासिल की है। 

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नामांकन पर्चे में एक अलग कॉलम बनाया जाएगा। इस कॉलम में हर उम्मीदवार को पत्नी और बच्चों की संपत्ति और कमाई का जरिया बताना होना। 

गैर सरकारी संस्था लोक प्रहरी ने इस बारे में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला चुनाव सुधारों की दिशा में बहुत बड़ा कदम माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया था कि यह फैसला सभी चुनावों पर लागू होगा। यानी लोकसभा, राज्यसभा से लेकर पंचायत तक। 

लोक प्रहरी ने याचिका दाखिल करके कहा था कि नामांकन के वक़्त उम्मीदवार संपत्ति का ब्यौरा तो देते है पर कैसे हासिल की है नही बताते हैं। 

चुनाव सुधारों पर हलफनामे में केंद्र सरकार ने पिछले साल अप्रैल में दिए अपने हलफनामे में कहा था कि पर्चा भरते वक़्त उम्मीदवार अपनी, पत्नी और आश्रितों की आय के स्रोत की जानकारी सार्वजनिक करने के प्रस्ताव पर तैयार है।
 

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