दरअसल 13 मई से 30 जून 2019 तक वार्षिक ग्रीष्मकालीन अवकाश के लिए सुप्रीम कोर्ट बंद रहेगा। लेकिन उसके बावजूद दो बेंच सुप्रीम कोर्ट में बैठेंगी। जिसमें न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ और दूसरी बेंच न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एम. आर शाह की बेंच शामिल है।
एजी ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को एक पत्र लिखा जिसमें पूर्व जूनियर असिस्टेंट द्वारा लगाए गए आरोपो की जांच करने के लिए गठित की गई आंतरिक कमेटी में बाहरी सदस्यों को शामिल करने की पुरजोर सिफारिश की गई थी।
राफेल लड़ाकू विमान मामले में दायर पुनर्विचार याचिका और राहुल गांधी पर अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। राफेल सौदे पर उच्चतम न्यायालय ने सभी पक्षों से कहा कि वे 2 हफ्ते में लिखित दलीलें दे सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम रिटायर्ड जस्टिस कलीफुल्ला की रिपोर्ट पर विचार कर रहे हैं। रिपोर्ट में सकारात्मक विकास की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है। कुछ हिन्दू पक्षकारों ने मध्यस्थता की प्रक्रिया पर आपत्ति जाहिर की। उन्होंने कहा कि पक्षकारों के बीच कोई कॉर्डिनेशन नहीं है। मुस्लिम पक्षकारों की ओर से राजीव धवन ने कहा कि हम मध्यस्थता प्रक्रिया का पूरी तरह से समर्थन करते हैं।
पिछले दिनों भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत पर गृह मंत्रालय ने राहुल गांधी को नोटिस भेजा था और 15 दिन में जवाब मांगा था। स्वामी ने अपनी याचिका में राहुल गांधी पर ब्रिटिश नागरिकता होने का आरोप लगाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ लड़ने का सपना देख रहे बीएसएफ से बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर यादव की उम्मीदों पर सुप्रीम कोर्ट ने पानी फेर दिया है। कोर्ट ने तेज बहादुर की याचिका को खारिज करते हुए यह भी कहा कि आप रिट याचिका नही दाखिल कर सकते हैं। लिहाजा इस पर सुनवाई को कोई मतलब नहीं बनता।
देश की सर्वोच्च अदालत ने आज पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ चल रहे आचार संहिता उल्लंघन के सभी मामले खारिज कर दिए। अदालत का कहना था कि इन मामलों में चुनाव आयोग ने इन दोनों को क्लीन चिट दे दी है, जिसमें दखल देना वह उचित नहीं समझते।
‘चौकीदार .... है’ के बयान पर सुप्रीम कोर्ट को राजनीति में खींचने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की भारी बेइज्जती हुई। राहुल गांधी ने पहले तो ‘खेद’ व्यक्त करके सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की। लेकिन अदालत के सामने उनकी चालाकी काम नहीं आई और अब उन्हें बिना शर्त माफी मांगनी ही पड़ी।
पिछली सुनवाई के दौरान ईडी ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि कार्ति चिदंबरम जांच में सहयोग नही कर रहे है। ईडी ने कार्ति चिदंबरम के विदेश जाने वाली याचिका का विरोध किया था। ईडी ने यह भी कहा था कि अगर कोर्ट कार्ति को विदेश जाने की अनुमति देता है तो जांच में देरी होगी।
पिछले महीने 8 अप्रैल को विपक्ष की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक असेंबली क्षेत्र से 1 की जगह 5 VVPAT पर्ची के मिलान का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ एक बार फिर विपक्ष पुनर्विचार याचिका लाया कि कम से कम 25 फीसदी पर्चियों का मिलान कराया जाना चाहिए।