आईएएस मनीराम शर्मा के पिता मजदूरी करते थे और मां दृष्टिहीन थीं। गरीबी से जूझ रहे परिवार में खुद मनीराम शर्मा बहरेपन का शिकार थें। उन्हें सुनाई नहीं देता था। दसवीं में शर्मा प्रदेश मेरिट में पांचवे स्थान पर आए । पिता परिचित बीडीओ के पास ले गए और बोले- बेटा दसवीं में बड़ा पास हुआ है, चपरासी लगा दो। बीडीओ ने कहा- ये तो सुन ही नहीं सकता, इसे घंटी सुनाई देगी ही किसी की आवाज। ये कैसे चपरासी बन सकता है। मानीराम ने अपमानित महसूस किया और पिता को भरोसा दिलाया की वो एक दिन अधिकारी बनेगा।