साल 2018: रक्षा क्षेत्र में दिखी भारत की धमक

By Team MyNation  |  First Published Dec 31, 2018, 5:58 PM IST

रक्षा क्षेत्र के लिए साल 2018 सरगर्मियों भरा रहा। फ्रांस से हुआ 36 राफेल विमानों का सौदा राजनीतिक गलियारों में आरोप-प्रत्यारोप का केंद्र बना तो रूस के साथ हुई एस-400 डील ने भी दुनिया का ध्यान भारत की बढ़ी रक्षा क्षमता की ओर खींचा। 

एक नजर साल 2018 की रक्षा क्षेत्र की पांच बड़ी खबरों पर। 

1. राफेल विमान सौदा

रक्षा क्षेत्र की सबसे बड़ी खबर राफेल विमान सौदा रही। यही नहीं राफेल विमानों की खरीद का मुद्दा सियासी गलियारों की भी चर्चा का केंद्र रहा। भारत को पहले राफेल विमान की आपूर्ति साल 2020 में होगी। इस बीच, 'माय नेशन' ने भी एक्सक्लूसिव दस्तावेज के आधार पर खुलासा किया कि मोदी सरकार ने इस सौदे में यूपीए के समय चल रही वार्ता की तुलना में हर राफेल विमान पर करीब 60 करोड़ रुपये बचाए। कुछ लोग इस सौदे की प्रक्रिया  पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे लेकिन शीर्ष अदालत ने दिसंबर में दिए अपने फैसले में साफ कर दिया कि सौदे की जांच प्रक्रिया सही है, लिहाजा इसकी जांच का याचिकाएं खारिज की जाती हैं। 

2. एस-400 मिसाइल सौदा

अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों की आशंका को दरकिनार करते हुए भारत और रूस ने शुक्रवार को 5 अरब डॉलर यानी लगभग 40,000 करोड़ रुपये के एस-400 हवाई प्रतिरक्षा प्रणाली सौदे पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच व्यापक चर्चा के बाद इस सौदे पर हस्ताक्षर किए गए। भारत 4000 किलोमीटर लंबी चीन-भारत सीमा के मद्देनजर अपनी सुरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल प्रणाली चाहता है। एस-400 रूस की सबसे आधुनिक और लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली है। रूस अपनी एस-400 हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली भारत और चीन दोनों को बेच रहा है, लेकिन भारतीय वायुसेना के लिए खरीदी जा रही इसकी पांच यूनिटें मारक क्षमता के लिहाज से चीन पर भारी पड़ती हैं। रूस की ओर से भारत को जो मिसाइल प्रणाली दी जा रही हैं, वो किसी भी हवाई खतरे को 380 किलोमीटर की दूरी पर निशाना बनाने में सक्षम है। वहीं चीन को मिली प्रणाली अधिकतम 250 किलोमीटर की दूरी पर ही अपना लक्ष्य भेद सकती है। एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली  चार अलग-अलग मिसाइलों से लैस है। ये दुश्मन के विमान, बैलिस्टिक मिसाइलों और अवॉक्स विमानों (टोही विमान) को लगभग 400 किलोमीटर, 250 किलोमीटर, मध्य दूरी में लगभग 120 किलोमीटर और कम दूरी में लगभग 40 किलोमीटर पर निशाना बना सकती है। 

3. आकाश-एस1 मिसाइल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मेक इन इंडिया' पहल को आगे बढ़ाते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने डीआरडीओ द्वारा विकसित आकाश एस-1 हवाई रक्षा प्रणाली की दो रेजीमेंट की खरीद को मंजूरी दी। इन पर 9,000 करोड़ रुपये का खर्च होना है। इन मिसाइलों को चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किया जाएगा। रक्षा क्षेत्र की पीएसयू भारत डायनॉमिक्स लिमिटेड से खरीदी जा रही मिसाइलें पूर्व में सेना में शामिल की गई आकाश मिसाइल का उन्नत संस्करण हैं। यह मिसाइल लक्ष्य का पीछा करने वाली तकनीक से लैस है। ये उन्नत मिसाइलें सेना की आकाश मिसाइल रेजीमेंट का तीसरा और चौथा हिस्सा होंगी। इससे सेना के पास 360 डिग्री की कवरेज हो जाएगी।  सेना के पास पहले से ही आकाश मिसाइल की दो रेजीमेंट हैं, जो देश की मुख्य जगहों एवं संपत्तियों को हवाई सुरक्षा उपलब्ध करा रही हैं। सेना आकाश मिसाइलों को दुश्मन के आने वाले विमानों और यूएवी के खिलाफ इस्तेमाल करती है। यह प्रणाली चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात की जाएगी। 

4. ऑपरेशन ऑलआउट

जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद के सफाए के लिए सेना ने 2018 में ऑपरेशन ऑलआउट को रफ्तार दी। एक के बाद एक कई आतंकी कमांडरों को सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में मार गिराया। 2018 में सुरक्षा बलों ने 250 से ज्यादा आतंकियों को ढेर किया। सेना की 15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट ने इस सफलता का श्रेय सुरक्षा बलों के बीच शानदार तालमेल और ऑपरेशन की आजादी को दिया। 2010 में 232 आतंकी मारे गए थे। जम्मू-कश्मीर में 19 जून को राज्यपाल शासन लागू होने के बाद पहले के मुकाबले ज्यादा आतंकी ढेर हुए। इस दौरान सुरक्षा बलों ने घाटी में कई शीर्ष आतंकी कमांडरों को भी ढेर किया। इनमें लश्कर कमांडर नवीद जट, जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर का भतीजा स्नाइपर उस्मान हैदर और हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर अल्ताफ अहमद डार भी शामिल हैं। 

5. आईएनएस अरिहंत परमाणु ट्रायड

देश की पहली परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत ने 2018 में पहला डिटरेंट पेट्रोल (गश्त अभियान) पूरा किया। इसके साथ ही भारत का त्रिस्तरीय सुरक्षा कवच तैयार हो गया। यानी अब भारत जल, थल, नभ से परमाणु हमले का जवाब देने में सक्षम है। पीएम मोदी ने धनतेरस के अवसर पर आईएनएस अरिहंत को देश को समर्पित करते हुए इसे तोहफा करार दिया था। पीएम मोदी ने कहा था, 'अरिहंत का अर्थ है, दुश्मन को नष्ट करना।' उन्होंने कहा, 'यह हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है। यह भारत और शांति के दुश्मनों के लिए खुली चुनौती है कि वे कोई दुस्साहस न करें। यह न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग का जवाब है।' भारत आईएनएस अरिहंत श्रेणी की पांच पनडुब्बियां विकसित कर रहा है। पहली तीन आकार और क्षमता में एक समान हैं, जबकि दो अन्य इससे बड़ी और ज्यादा मारक क्षमता वाली होंगी। भारत को इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में दो दशक का समय लगा है, लेकिन भारत अब उन देशों में शामिल हो गया है, जो परमाणु पनडुब्बी की क्षमता से संपन्न हैं। 

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